शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियाँ और कैरियर - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1
CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 1 शारीरिक शिक्षा में बदलती प्रवृत्तियाँ और कैरियर
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक, 150 शब्द)
प्रश्न 1. शारीरिक शिक्षा में कैरियर के विभिन्न विकल्पों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- शारीरिक शिक्षा में कैरियर विकल्प-
- शिक्षण संबन्धित कैरियर (Teaching Related Career)
- प्राथमिक विद्यालय स्तर
- माध्यमिक विद्यालय स्तर
- वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय स्तर
- महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय स्तर
- प्रशिक्षण कैरियर (Training Related Career)
- प्रशासन शिक्षा विभाग
- शारीरिक शिक्षा विभाग
- खेल विभाग
- औद्योगिक मनोरंजन
- खेल सुविधाओं का प्रबंधन
- स्वास्थ्य सम्बन्धी कैरियर (Health Related Career)
- हेल्थ कल्ब
- एथलैटिक ट्रेनिंग
- फिजियोथैरेपिस्ट (Physiotherapist)
- प्रदर्शन सम्बन्धित कैरियर (Performance Related Career)
- खिलाड़ी के रूप में
- अधिकारी के रूप में
- संचार माध्यमों के कैरियर (Media Related Career)
- खेल पत्रकारिता
- पुस्तक लेखन
- खेल फोटोग्राफी
- पुस्तक प्रकाशन
- खेल प्रसारण
प्रश्न 2. शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य क्या है?
उत्तर- शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित है:
- शारीरिक विकासः- शारीरिक संस्थानों जैसे रक्तसंचार श्वसन संस्थान, स्लायु-प्रणाली मांसपेशीय संस्थान और पाचन-प्रणाली का विकास करती है।
- मानसिक विकास- इसका उद्देश्य सामाजिक गुणों का विकास सम्बन्धित ही शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में ऐसी कई क्रियाएँ होनी चाहिए जो मस्तिष्क को जागरूक करे, ध्यान मग्न करे, और सही मापदंड दे।
- सामाजिक विकास- इसका उद्देश्य सामाजिक गुणों का विकास से है जो कि जीवन में अच्छे समायोजन के लिए जरूरी है। यह सहयोग सम्मान, अच्छा खेल, संयम, खेलने की भावना, सांत्वना इत्यादि गुणों को सीखने में सहायक होता है।
- नाड़ी संस्थान तथा मांसपेशीय संस्थान में समन्वय- इसका उद्देश्य नाड़ी संस्थान व मांसपेशीय संस्थान के मुख्य समन्वय स्थापित करने के लिए अवसर देती है।
- भावनात्मक विकास- शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का भावनात्मक विकास या संवेगनात्म्क विकास करना भी है। व्यक्ति में अनेक भावनाएं या संवेग होते है जैसे खुशी, आशा, ईष्या, घृणा, डर, दुखः, क्रोध, आश्चर्य, कामुकता तथा एकाकी आदि। इन संवेगो के ऊपर व्यक्ति का उचित नियंत्रण न हो तो वह असामान्य व अनियंत्रित हो जाता है।
- स्वास्थ्य का विकास- यह व्यक्ति की स्वास्थ्य सम्बन्धी आदतों का विकास करती है। संक्रामक रोगो से बचाव भी यही शिक्षा प्रदान करती है।