शरीर क्रिया विज्ञान जीव यांत्रिकी और खेल - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE कक्षा 11 शारीरिक शिक्षा
पाठ - 9 शरीर क्रिया विज्ञान
, जीव यांत्रिकी और खेल
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (5 अंक, 150 शब्द)
प्रश्न 1. स्थापित्व के सिद्धांतों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- स्थापित्व के सिद्धांत
  1. सहारे के लिए चौड़ा आधारः- अधिक स्थिरता लाने के लिए हमें आधार को चौड़ा करना चाहिए एवं गुरुत्व केन्द्र को नीचे लाना चाहिए। जैसेः-
    1. रक्षात्मक खेलने के लिए वॉलीबॉल खिलाड़ी अर्धबैठक बनाते हुए अपनी स्थिति बनाता है।
    2. एक वास्केट बॉल खिलाड़ी कंधे के बराबर पैर खोलकर बैठक में आ जाता है तथा विपक्षी खिलाड़ी को चकमा देकर बॉल छीन कर आगे बढ़ जाता है।
    3. एक गोल्फ खिलाड़ी पैर खोलकर चौड़ा आधार बनाता है।
    4. एक फुटबॉल खिलाड़ी ‘Tackling’ करते हुए विपक्षी खिलाड़ी को चकमा देता है।

  1. स्थिरता शरीर के भार के अनुपातिक होती हैः- जिस व्यक्ति या वस्तु का भार अधिक होता है उनकी स्थिरता भी अधिक होती है।
    उदाहरणः- एक पतले व्यक्ति की अपेक्षा भारी व्यक्ति को हिलाना मुश्किल होता है। इसी सिद्धांत के आधार पर, कुश्ती, बाक्सिंग, जूड़ो आदि खेल शरीर के भार के अनुसार किए जाते हैं।
  2. गुरुत्व केन्द्र आधार के मध्य में होता है तब अधिक स्थिरता रहती है। जैसे खेल में मुद्रा (Stance) बनाना, Balancing Beam पर मुद्रा लेना।
  3. गुरुत्व केन्द्र नीचे रखने से स्थायित्व बढ़ जाता हैः- एक कुश्ती लड़ने वाला पहलवान अधिक स्थायित्व के लिए अर्धबैठक या (Semi Crouched) स्थिति में आ जाता है।
प्रश्न 2. केन्द्राभिमुखी तथा केन्द्राविमुखी शक्तिया के बारे में आप क्या जानते होखेलों में इनका प्रयोग किस प्रकार होता है?
उत्तर- केन्द्राभिमुखी शक्ति (Centripetal Force):- यह वह शक्ति होती है जो एक वस्तु को तृतीय पथ पर घुमाने के लिए आवश्यक होती है तथा हमेशा वृत्तीय पथ के केन्द्र की और निर्देशित होती है, जो घूमने वॉली वस्तु को केन्द्र या घूमने की घुरी की ओर घुमाती है। एक खिलाड़ी जब बैट घुमाता है तब उसको घुमाव देने के लिए केन्द्रीभिमुखी शक्ति का प्रयोग होता है।
केन्द्राविमुखी शक्ति (Centrifugal Force): जब आप किसी वस्तु का पकड़कर घुमाते हैं तब ऐसा लगता है, वह वस्तु हमें खींच रही है, यही शक्ति केन्द्राविमुखी शक्ति कहलाती है। यह शक्ति केन्द्र के बराबर एवं विपरीत होती है। खेलो में केन्द्रभिमुखी तथा केन्द्राविमुखी शक्तियों का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है।
खिलाड़ी को उपकरणों पर पकड़ बनाने के लिए केन्द्रभिमुखी शक्ति की आवश्यकता होती है। यदि केन्द्राविमुखी शक्ति अधिक हो जाती है तो खिलाड़ी की पकड़ कमजोर पड़ जाती है और बैट हाथ से छूट सकता है।
यह शक्तियां एक धावक पर उस समय लागू होती है जब-जब वह ट्रैक पर गोलाई में दौड़ते हुए अंदर की तरफ झुक जाता है।
एक साइकिल चालक गोलाई आने पर आवश्यक केन्द्राभिमुखी शक्ति प्राप्त करने के लिए गोलार्द्ध की तरफ तिरछा हो जाता है।

लोहे का गोला (Hammer) घुमाते समय खिलाड़ी गोले को घुमाता है आवश्यक (Centripetal) शक्ति प्राप्त करने के लिए लेकिन खिलाड़ी को यह अहसास होता है कि गोला उसे खींच रहा है।
प्रश्न 3. जैव यान्त्रिकी का खेलों में क्या महत्त्व हैव्याख्या कीजिए।
उत्तर- जैव यान्त्रिकी का खेलों में महत्त्व
  1. खेलों में प्रदर्शन को बढ़ानाः- जीवयान्त्रिकी के सिद्धान्तों के प्रयोग द्वारा व्यक्ति को तकनीक व उपकरण में सुधार करके एवं कम बल प्रयोग कर मांसपेशियों के प्रदर्शन में सुधार होता है।
  2. तकनीक में सुधारः- जैवयान्त्रिकी के सिद्धान्तों का प्रयोग कर शारीरिक शिक्षक उचित तकनीक का प्रयोग खिलाड़ियों की गलतियों में सुधार करता है जिससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार होता है।
  3. खेल उपकरण सुधारने में मददः- जैवयान्त्रिकी के सिद्धान्त खेल उपकरणों का स्तर सुधारने में मदद करते हैं। उदाहरण के तौर पर-हल्की टी शर्ट, स्ट्डस, स्पाइक्स, तैराकी पोशाक, हाॅकी, उम्र, के अनुसार फुटबॉल, हलके हेल्मेट, दस्ताने एवं सुरक्षात्मक उपकरण।
  4. खेल चोटों से बचावः- खेल के दौरान चोट लगने के कारणों का पता लगाने में जैवयान्त्रिकी का बहुत योगदान है। चोट लगने या पुनः लगने से किस प्रकार सहायता कर सकते हैं, यह ज्ञान हमें जैवयान्त्रिकी से होता है।
  5. प्रशिक्षण तकनीक में सुधारः- जैवयान्त्रिकी के सिद्धान्तों का प्रयोग कर खिलाड़ी की गतिविधियों का आंकलन किया जाता है। अनावश्यक क्रियाओं को हटाकर कम शक्ति में अधिक कार्य किया जाता है।
  6. मानव शरीर को समझने में सहायताः- जैवयान्त्रिकी के द्वारा हमें शरीरके विभिन्न संस्थानों की विस्तार से जानकारी हो जाती है। जैसे कंकाल तन्त्र, मांसपेशी तन्त्र, स्नायु तन्त्र, आदि।
  7. सुरक्षा सिद्धान्तों का ज्ञानः- जैवयान्त्रिकी के सिद्धान्तों का प्रयोग कर खेल में ऐसी अनचाही गति व क्रियाओं को हटा देते हैं जिनकी वजह से खिलाड़ी को चोट लग सकती है। इससे खिलाड़ी में रूचि बढ़ जाती है एवं खेल में सुधार होता है।
  8. पढ़ाने-लिखाने एवं नए अनुसंधान में मददः- जैवयान्त्रिकी खेल-कूद की तकनीक, उपकरणों एवं मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाने के लिए नए-नए अनुसंधान करने में सहायक होती है। पढ़ाने एवं लिखाने में भी शिक्षकों की सहायता करती है।
  9. खिलाड़ियों के आत्मविश्वास में वृद्धिः- खिलाड़ी को इस बात का पूरा विश्वास होता है कि वह जो क्रियाएँ कर रहा है वह पूरी तरह वैज्ञानिक मापदंडो पर आधारित है। इससे प्रदर्शन के समय खिलाड़ी आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है।
  10. शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायताः- जैवयान्त्रिकी द्वारा खिलाड़ी को यह ज्ञान रहता है कि भौतिक शक्तियों का और गतिशील रहने पर इसका हमारे शरीर पर क्या असर होता है। इससे शारीरिक स्वास्थ बनाये रखने में सहायता मिलती है।
  11. खेलों की लोकप्रियता में वृद्धिः- आज कल जैवयात्रिकी के सिद्धान्तों के प्रयोग से खेल तकनीक उपकरण एवं मैदान की लम्बाई-चौड़ाई आदि में सुधार हुआ है जिसकी वजह से खेलों की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 4. पेशीय गति विज्ञान का शारीरिक शिक्षा एवम् खेल में क्या महत्त्व है?
उत्तर- महत्त्व
  1. गति विज्ञान के यान्त्रिक से मनुष्य की शारीरिक गतिविधियों की जानकारी प्राप्त होती है और इसमें यह पता लगाते है कि किस गति के लिये किस प्रकार की शक्ति की आवश्यकता पड़ेगी इससे हमें यह भी पता पड़ता है कि गुरुत्व केन्द्र और शक्ति किस प्रकार प्रयोग में लायी जाती है।
  2. गति प्रणाली का प्रयोग कर इस बात का पता लगाया जाता है कि एक खिलाड़ी कम शक्ति से अधिक कार्य किस प्रकार कर सकाता है और अपने कार्य क्षेत्र में कैसे निपुणता प्राप्त कर सकता है।
  3. इस विज्ञान द्वारा गति क्रियाओं का ज्ञान होता है जो कि मनुष्य की इच्छा शक्ति और क्षमता के अनुसार होनी चाहिऐ।
  4. इसके द्वारा यह पता लगता है कि मांसपेशियों में उत्तेजना कैसे आती है और शक्ति कहाँ से प्राप्त होती है। इनका परस्पर समायोजन किस प्रकार बना रहता है।
  5. इस विज्ञान की मदद से खिलाड़ियों के शरीर को मजबूत सुन्दर व प्रभावशाली बनाया जाता है जिससे वह अपने खेल से सम्बन्धित कौशलों को आसानी व प्रभावशाली ढंग से कर सके।
  6. शारीरिक शिक्षकों व कोचों को मूलभूत कौशलों का ज्ञान इस विज्ञान से होता है जिसकी मदद से वह अपने व्यवसाय में नयी-नयी विधियों तथा तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
  7. इस विज्ञान द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिये अभ्यासों का चयन तथा मूल्यांकन किया जाता है और इन अभ्यासों को Corrective तथा Conditioning उद्देश्यों के लिये प्रयोग किया जाता है।
  8. इस विज्ञान का उद्देश्य मनुष्य के शारीरिक ढाँचे में सुधार लाना जिससे की खिलाड़ी की शारीरिक गतिविधि में सफल प्रतिभाग के लिये अपने शरीर का प्रभावपूर्ण रूप से प्रयोग कर सके।
  9. गति विज्ञान की सहायता से खेल के उपकरणों को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया जाता है। क्योंकि इस विज्ञान की मदद से उपकरण सुरक्षा की दृष्टि को देखकर बनाये जाते हैं।