मीरा-पद - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (काव्य खंड)
पाठ- 2 मीरा के पद
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

कविता के विषय, अर्थबोध एवं सराहना पर आधारित पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
  1. मीरा के पदों में पाई जाने गेयता को स्पष्ट करें।
    उत्तर- मीरा की भक्ति अनेक पद्धतियों और सिद्धांतों से युक्त है। इन्होने किसी भी संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली थी। इन्हें अपने भक्ति क्षेत्र में जो भी अच्छा लगा, उसे अपना लिया। मीरा पर सगुण और निर्गुण दोनों का प्रभाव है। मीरा की भक्ति में कृष्ण के प्रति समर्पण भाव है उनके काव्य में अनुभूति की गहनता है।
  2. मीरा की प्रमुख रचनाओं के विषय में आप क्या जानते हैं?
    उत्तर- मीरा की रचनाएँ निम्नलिखित मानी जाती हैं - नरसी जी महारों, गीत गोविंद की टीका, मीरा जी की गरबी, मीरा के पद, राग सोरठ के पद, रास गोबिंद। मीरा के फुटकर पद कोई 200 के लगभग मिले हैं। इनके पद गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, खड़ी बोली आदि में मिलते हैं।
  3. मीरा का काव्य विरह कि तीव्र वेदनाभूती है। कैसे?
    उत्तर- प्रेम और भक्ति चिरसंगी है और प्रेम के संयोग-वियोग पक्षों में विरह-वेदना की अनुभूति अधिक बलवती है। विरह प्रेम की एकमात्र कसौटी है। मीरा का सारा काव्य विरह की तीव्र वेदनानुभूति से परिपूर्ण है। मीरा एक सच्ची प्रेमिक की भांति प्रियतम कि ‘बाट’ जोहती रहती है। प्रिय के आगमन के दिन गिनती रहती है। रात दिवस काल नाहिंपरत हैं, तुम मिलियाँ बिन मोई।
  4. मीरा की भक्ति पर टिप्पणी करें।
    उत्तर-
     मीरा के पदों में गेयता के सभी तत्त्व-आत्माभिव्यक्ति, संक्षिप्तता, तीव्रता, संगीतात्मकता, भावात्मक एकता और भवना कि पूर्णता है। उनकी पीड़ा की अभिव्यक्ति व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत है। सभी पद संगीत के शास्त्रीय पक्ष पर खरे उतरता हैं। इनके पदों का आकार संक्षिप्त है और इसमें भावों की पूर्णता भी है। उनके ईश्वर-प्रेम की पराकाष्ठा मिलती है।
  5. मीरा ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
    उत्तर-
     मीराबाई श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के मस्तक पर मोर के पंखों का मुकुट तथा शरीर पर पीतांबर सुशोभित हो रहा है। उनके गले में वैजयंती माला अति सुंदर लग रही है। ऐसे श्रीकृष्ण वृंदावन में बाँसुरी बजाते हुए गाय चराते हैं। मीरा कहती हैं कि वह ऊँचे-ऊँचे महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ रखना चाहती हैं ताकि वह श्रीकृष्ण के दर्शन कर सकें। वह लाल रंग की साड़ी पहनकर अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए आधी रात के समय यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती हैं। अंत में मीरा कहती है कि वह अपने प्रिय श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी हैं।
  6. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
    "हरि आप हरो जन री भीर।
    द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
    भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर।"

    उत्तर- प्रस्तुत पद्यांश में मीराबाई अपने आराध्य कृष्ण से कहती हैं - हे भगवन् ! आप ही अपनी इस दासी की पीड़ा हरें। आपने ही अपमानित द्रोपदी की लाज बचाई थी। जब दुःशासन ने उसे निर्वस्त्र करने का प्रयास किया था तो आपने ही उसे वस्त्र प्रदान किए थे। आप भक्तों पर कृपा करने वाले हैं। अपने प्रिय भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए आपने नृसिंह का रूप का रूप धारण किया था।
    पूरा पद गेय है। ‘र’ की ध्वनि के कारण कविता में अद्भुत माधुर्य आ गया है। भाषा में कोमलता लाने के लिए ‘शरीर’ का ‘सरीर’, ‘भक्त’ कर दिया गया है। भाषा में ब्रज की मधुरता और राजस्थानी पुट का सम्मिश्रण हो गया है। ‘री’ में राजस्थानी प्रभाव है। ‘बढ़ायो’ और ‘धरयो’ में ब्रज का प्रभाव स्पष्ट है।