कैदी और कोकिला - Test Papers
CBSE Test Paper 01
Ch-10 कैदी और कोकिला
Ch-10 कैदी और कोकिला
- निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दें!
कोकिल बोलो तो!- 'मेरा दस फुट का संसार' के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
- कोयल और कैदी के बीच की समानता को स्पष्ट कीजिए।
- 'देख विषमता तेरी-मेरी' में किस विषमता की ओर संकेत किया गया है?
- कवि ने कोयल को ‘मरने के लिए मदमाती' कहा है। इसका आशय समझाइए।
- 'कवि का रोना भी गुनाह है' के माध्यम से किन परिस्थितियों का पता चलता है?
- काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
तेरी गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी-मेरी, बाज रही तिस पर रणभेरी! - कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
- काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
CBSE Test Paper 01
Ch-10 कैदी और कोकिला
Ch-10 कैदी और कोकिला
Answer
- 'मेरा दस फुट का संसार' से कवि कहना चाहता है कि उसे जिस कोठरी में बंद किया गया है वह बहुत छोटी है और उसकी दुनिया इसी में सिमट कर रह गई है।
- कोयल और कैदी दोनों ही गुलाम देश के वासी हैं। अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के कारण वे दोनों ही दुखी हैं।जहाँ कोयल की हूक में वेदना भरी हुई है वहीं कवि का दर्द उसकी रचनाओं में छिपा है। कोयल आज़ादी का संदेश दे रही है तो कवि अपनी कृतियों से लोगों जोश भर रहा है।
- 'देख विषमता तेरी-मेरी’ के माध्यम से कवि और कोयल के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है। कोयल हरे-भरे पेड़ों की डालियों पर उड़ती फिर रही है और कवि दस फुट की कोठरी में कैदी जीवन बिता रहा है। गीत गाने पर कोयल को प्रशंसा मिलती है पर कवि का तो रोना भी गुनाह माना जाता है | वह खुले का आसमान में उड़ रही है पर कवि का जीवन तो उसकी काल कोठरी में ही सिमट गया है |
- कवि ने कोयल को 'मरने के लिए मदमाती' कहा है। इसका आशय है कि पराधीन भारत में अंग्रेज़ों ने अपने बर्बरतापूर्ण और अमानवीय व्यवहार से तो अत्याचार की सारी सीमाएँ पार कर दी थीं। स्वतंत्रता के लिए आवाज़ उठाने वालों को वे हर तरीके से कुचल देते थे। उनका विरोध करना स्वयं को मारने से कम नहीं था। ऐसे में कोयल द्वारा स्वतंत्रता के गीत गाकर भारतीयों में देश-प्रेम जगाना मरने के ही समान है।
- 'कवि का रोना भी गुनाह है' से पता चलता है कि तत्कालीन परतंत्र भारत में स्वाधीनता सेनानियों और क्रांतिकारियों पर बहुत अत्याचार किए जाते थे। उन्हें आपस में मिलने भी नहीं दिया जाता था। उन्हें चोरों-लुटेरों के साथ एक की काल कोठरी में बंदी बनाकर रखा जाता था। बात-बात पर उन्हें गालियाँ दी जाती थीं। उनकी साँसों पर भी अंग्रेजों का पहरा था। उन्हें पेट भर खाने को भी नहीं मिलता था। वे अपनी बात किसी से नहीं कह सकते थे।
- भाव-सौंदर्य- यहाँ कवि ने अपने और कोयल के जीवन के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कोयल के कर्णप्रिय गीतों को सुनकर लोग वाह-वाह करते हैं जबकि स्वतंत्रता सेनानियों को तो रोने भी नहीं दिया जाता है। उनके बोलने पर उन्हें गालियाँ दी जाती हैं। वे चुपचाप यंत्रणाएँ सहने को विवश हैं। इतना अंतर होने के बाद भी कोयल रणभेरी बजा रही है।शिल्प-सौंदर्य-
- पंक्तियों में तत्सम शब्दयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग है।
- मुहावरा-‘रणभेरी बजाना' के प्रयोग से भाषा में सजीवता और सुंदरता आ गई है।
- 'तेरी-मेरी’, ‘वाह-गुनाह' में मैत्री तथा अनुप्रास अलंकार है।
- ‘गुनाह'-उर्दू-फारसी के शब्द का प्रयोग किया गया है।
- कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने कोयल के बोलने की निम्नलिखित संभावनाएँ बताई हैं -
- वह पागल हो गई है।
- उसने जंगल में कहीं दावानल की लपटें देख ली हैं।
- वह स्वतंत्रता के लिए प्रयासरत जेल में बंद कैदियों को संदेश देना चाहती है।
- वह क्रांतिकारियों के मन में देश-प्रेम की भावना और भी प्रगाढ़ करने का संदेश लेकर आई है।
- भाव-सौंदर्य- लोगों में स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से विरोध और उनके प्रति संघर्ष की भड़कती हुई भावना को शायद कोयल ने देख लिया था।
शिल्प-सौंदर्य-- इस पंक्ति की भाषा तत्सम शब्द युक्त खड़ी बोली है।
- दावानल की ज्वालाएँ में रूपक अलंकार है।
- कोयल के साथ संवाद के कारण ‘मानवीकरण अलंकार' है।
- कोयल से प्रश्न पूछने के कारण पंक्ति प्रश्नात्मक शैली में है |