संवाद लेखन - Test Papers

CBSE Test Paper 01
संवाद लेखन

  1. परीक्षा से पहले परीक्षा भवन के बाहर दो छात्रों के बीच होने वाले संवाद को लिखिए।
  2. किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी हेतु साक्षात्कार देने आए दो उम्मीदवारों के मध्य होने वाले संवाद को लिखिए।
  3. प्रदीप और गरिमा के बीच लड़का और लड़की में भेदभाव पर संवाद लिखिए।
CBSE Test Paper 01
संवाद लेखन

Answer
  1. देवेन्द्र - हेलो गौरव ! कैसे हो ? तुम्हारी तैयारी हो गई।
    गौरव - हाँ मित्र ! बस हो ही गई है। व्याकरण का एक टॉपिक संधि पुनरावृत्ति के लिए रह गया है वह भी जल्दी से कर लेता हूँ।
    देवेन्द्र - अच्छा तुम्हें पदबंध की पहचान याद है क्या?
    गौरव - हाँ, पदबंध की पहचान तो बहुत ही सरल है। यदि रेखांकित शब्दों के अंत में संज्ञा शब्द हो तो संज्ञा पदबंध और यदि विशेषण शब्द हो तो विशेषण पदबंध होता है।
    देवेन्द्र -ये तो सरल हैं पर क्रिया पदबंध में मुझे कठिनाई आती है। क्या तुम उसे मुझे समझा सकते हो?
    गौरव - अरे मित्र ! इसमें कुछ नहीं है । जैसे-नाव उफनती नदी में डूबती चली गई। यहाँ 'डूबती चली गई' शब्द क्रियापद हैं इसलिए यह क्रिया पदबंध है।
    देवेन्द्र - धन्यवाद! क्रियाविशेषण व सर्वनाम पदबंध मुझे आते हैं। चलो अब मैं तुम्हे संधि बताता हूँ। तुम्हारी भी पुनरावृत्ति हो जाएगी।
    गौरव - हाँ, जल्दी बताओ, परीक्षा शुरू होनेवाली है।
    देवेन्द्र - यदि जोड़ने पर आ, ई, ऊ हों तो दीर्घ; ए, ओ, अर हों तो गुण; ऐ, औ हों तो वृद्धि ; अय्, आय्, अव्, आव् हों तो अयादि संधि होती है।
    गौरव - धन्यवाद मित्र ! तुमने तो बड़ी आसानी से संधि समझा दी। अब चलो, परीक्षा शुरू होने ही वाली है।
    देवेन्द्र - हाँ मित्र ! चलो चलते हैं ।
    गौरव - आल दा बेस्ट मित्र
    देवेन्द्र- तुम्हें भी मित्र, धन्यवाद।
  2. मोहित - नमस्कार!
    गौरव - नमस्कार!
    मोहित - क्या आप भी साक्षात्कार हेतु यहाँ आए हैं ?
    गौरव -जी हाँ, और आप ?
    मोहित - मैं भी साक्षात्कार के लिए ही आया हूँ। अभी तक अकेला था। सोच रहा था कि कहीं गलत दिन तो नहीं आ गया।
    गौरव - नहीं, आप ठीक दिन ही आए हैं। हम जरा वक्त से कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गए हैं। दूसरे उम्मीदवार भी आते ही होंगे।
    मोहित - आप कहाँ से आए हैं?
    गौरव - मैं पास में पंजाबी बाग में ही रहता हूँ। आप कहाँ से आए हैं ?
    मोहित - मैं कमला नगर से आया हूँ।
    गौरव - अच्छा, आपने एम०ए० कहाँ से किया है?
    मोहित - हिमाचल विश्वविद्यालय से।
    गौरव - फिर तो आप डॉ० हरीश अरोड़ा से भी पढ़े होंगे?
    मोहित - हाँ, वे हमें नाटक पढ़ाते थे। अब मैं उनके निर्देशन में ही शोध कर रहा हूँ।
    गौरव - बहुत अच्छा! नाटकों पर ही शोध कर रहे हैं।
    मोहित - आपने बिलकुल ठीक पहचाना। मेरी शोध का विषय आधुनिक नाटक ही है।
    गौरव - आपसे मिलकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई।
    मोहित - मुझे भी।
    गौरव - अरे! हमारे बीच इतनी बातें हो गई और मैंने आपका नाम तो पूछा ही नहीं।
    मोहित - मेरा नाम मोहित है और आपका ?
    गौरव - धन्यवाद मोहित जी! मेरा नाम गौरव है। आपसे मुलाकात अच्छी रही।
  3. गरिमा - प्रदीप, तुमने देखा है, सब जगह लड़का-लड़की में भेद किया जाता है। आज समाज तो आधुनिक हो गया है पर उसकी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
    प्रदीप - हाँ, यह तो हर रोज की बात है।
    गरिमा - माँ, मुझसे ज्यादा प्रकाश का ध्यान रखती है। हर चीज़ पहले उसी को पसंद करने के लिए दी जाती है। मुझसे तो पसंद-नापसंद पूछने का सवाल ही नहीं।
    प्रदीप - हाँ-हाँ, मेरे घर में भी ऐसा ही होता है। माँ मेरी बहिन मानसी की बजाय सबसे पहले मुझे ही देती है।
    गरिमा - हाँ, एक दिन तो हद ही हो गई। उस दिन प्रकाश रात के बारह बजे घर आया पर माँ ने उसे ज़रा भी नहीं डाँटा। मैंने कहा तो कहने लगी कि वो तो लड़का है।
    प्रदीप - हाँ, तुम ठीक कह रही हो। उस दिन मानसी घर में आठ बजे पहुँची तो माँ ने कई दिन तक उसका घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया। भला ये भी कोई बात हुई। लड़के-लड़की के बीच इतना भेदभाव क्यों ?
    गरिमा - परंतु हमारे समाज में तो ऐसा नहीं होना चाहिए। वैसे तो आधुनिकता की होड़ में पुरुष-स्त्री को समान महत्त्व देने की बात कही जाती है। पर अभी भी इस तरह भेदभाव किया जाता है।
    प्रदीप - आज युवाओं को मिलकर लोगों की इस सोच को बदलने का प्रयास करना होगा और इसके लिए हमें अपने घर से ही पहल करनी होगी।
    गरिमा - हाँ-हाँ, तुम बिलकुल ठीक कर रहे हो, हम सबको मिलकर पहले अपने परिवारजनों की सोच को बदलना होगा तभी हम समाज की सोच को बदल सकेंगे। अन्यथा लड़का-लड़की में भेद हमेशा होता रहेगा।