साखियाँ एवं सबद - Test Papers

CBSE Test Paper 01
Ch-7 साखियाँ एवं सबद

  1. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
    काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम।
    मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम।।
    1. मनुष्य के मन से धार्मिक भेदभाव मिटने से क्या परिर्वतन हुए?
    2. दोहे में ‘मोट चून' किसे कहा गया है? वह मैदा कैसे बन गया?
    3. दोहे में प्रयुक्त प्रतीकों को स्पष्ट कीजिए।
  2. 'मानसरोवर' से कबीर का क्या आशय है?
  3. कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?
  4. कबीर की साखी में ‘विष’ और ‘अमृत' किसके प्रतीक हैं?
  5. कबीर के अनुसार हंस किसका प्रतीकार्थ है? वह अन्यत्र क्यों नहीं जाना चाहता है?
  6. सुबरन कलश किसका प्रतीक है? मनुष्य को इससे क्या शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए? साखियाँ एवं सबद के आधार पर लिखिए।
CBSE Test Paper 01
Ch-7 साखियाँ एवं सबद

Answer
    1. जब मनुष्य के मन से धार्मिक भेदभाव मिट गए तो उसकी धर्मांधता और धार्मिक संकीर्णता समाप्त हो गई। अब उसके लिए राम-रहीम और काबा-काशी में कोई अंतर नहीं रह गया। वह अब ईश्वर का सच्चा भक्त बन गया।
    2. दोहे में मोट चून धार्मिक संकीर्णताओं और धर्मांधता से ग्रस्त मनुष्य को कहा गया है। ये बुराइयाँ मनुष्य के मन में विकार और संकीर्णता उत्पन्न करती हैं। जब मनुष्य के मन की ये सभी बुराइयाँ निकल गई तो मोट चून भी अब खाने योग्य मैदा बन गया।
    3. दोहे में प्रयुक्त प्रतीक निम्नलिखित हैं -
    • दोहे में राम और काशी हिंदू धर्म का प्रतीक हैं।
    • यहाँ काबा और रहीम मुस्लिम धर्म का प्रतीक हैं।
    • मोट चून-बुराइयों का तथा मैदा-अच्छाइयों का प्रतीक है।
  1. मानसरोवर से कवि का आशय मन रूपी सरोवर से है। इसमें स्वच्छ विचार रूपी जल भरा हुआ है। इस स्वच्छ जल में जीवात्मा रूपी हंस प्रभु भक्ति में लीन होकर स्वच्छंद होकर मुक्तिरूपी मुक्ताफल चुग रहे हैं। ऐसे आनंददायक स्थान को छोड़कर वे अन्यत्र जाना नही चाहते।
  2. कबीर ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है-
    1. मनुष्य मंदिर, मस्जिद में जाकर ईश्वर को प्राप्त करना चाहता है किंतु इससे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती।
    2. ईश्वर को पाने के लिए वह विभिन्न धार्मिक स्थानों की यात्रा करता है, पर ऐसा करने पर भी ईश्वर नहीं मिलते |
    3. वह योग, वैराग्य के माध्यम से ईश्वर पाना चाहता है, पर यह व्यर्थ है।
    4. ईश्वर प्राप्ति के लिए वह आडंबरपूर्ण भक्ति करता है, परंतु इससे ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती है।
  3. कबीर की साखी में विष मनुष्य के अंतर्मन में स्थित मोह-माया, लोभ-लालच आदि बुराइयों का प्रतीक है और अमृत ईश्वर भक्ति और उससे मिलने वाले आनंद का प्रतीक है |
  4. हंस जीवात्मा का प्रतीक है | वह स्वच्छ विचाररूपी जल में मन रुपी सरोवर में आनंद रुपी मोती चुगता हुआ विचरण कर रहा है | इस आनंदायक स्थान को छोड़कर वह अन्ताय्र जाना नहीं चाहता |
  5. ‘सुबरन कलश’ प्रतिष्ठित कुल का प्रतीक है | इसमें जन्म लेकर मनुष्य स्वयं को महान समझने लगता है | व्यक्ति की महानता उसके कर्मों पर निर्भर करती है न कि कर्मों पर | इससे मनुष्य को सद्कर्म करने की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए |