नाना साहब - Test Papers
CBSE Test Paper 01
Ch-4 नाना साहब की पुत्री और देवी मैना को भस्म कर दिया गया
Ch-4 नाना साहब की पुत्री और देवी मैना को भस्म कर दिया गया
- निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
उसी दिन संध्या समय लार्ड केनिंग का एक तार आया, जिसका आशय इस प्रकार था-
"लंडन के मंत्रिमंडल का यह मत है कि नाना का स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाये। इसलिये वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता।"
उसी क्षण क्रुर जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना साहब के सुविशाल राज मंदिर पर तोप के गोले बरसने लगे। घंटे भर में वह महल मिट्टी में मिला दिया गया।- लार्ड केनिंग कौन थे? उन्होंने तार क्यों भेजा?
- अंग्रेज़ नाना का स्मृति-चिह्न तक क्यों मिटा देना चाहते थे?
- नाना के महल का क्या नाम था? अंग्रेजों ने उस पर अपनी खीझ किस तरह उतारी?
- मैना से उसका परिचय जानकर सेनापति ‘हे’ किस दुविधा में पड़ गए?
- मैना का अनुरोध और परिचय पाकर जनरल ‘हे’ दुखी क्यों हुए?
- नाना साहब कौन थे? अंग्रेज़ उनसे नाराज क्यों थे?
- मैना की अंतिम इच्छा क्या थी? क्या उसकी इच्छा पूरी हो सकी?
- मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
CBSE Test Paper 01
Ch-4 नाना साहब की पुत्री और देवी मैना को भस्म कर दिया गया
Ch-4 नाना साहब की पुत्री और देवी मैना को भस्म कर दिया गया
Answer
- लार्ड केनिंग इंग्लैंड के गवर्नर जनरल थे। उन्होंने जनरल अउटरम के पास इसलिए तार भेजा क्योंकि सेनापति ‘हे’ नाना के महल को बचाने का प्रयास कर रहे थे और अउटरम उसे गिराना चाहता था। केनिंग तार के माध्यम से नाना का महल गिराने की स्वीकृति दे रहा था।
- सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करते हुए नाना साहब ने अंग्रेजों के विरुद्ध भीषण युद्ध किया और अंग्रेज़ों को भीषण क्षति पहुँचाई। नाना उनकी पकड़ में नहीं आए इसलिए वे बदला लेने के लिए उनसे जुड़ी हर वस्तु को नष्ट कर देना चाहते थे।
- नाना साहब के महल का नाम राजमंदिर था। अंग्रेज़ों ने उसे तोप के गोलों से नष्ट कर अपनी खीझ उतारी।
- मैना ने सेनापति ‘हे’ को अपना परिचय देते हुए कहा कि वह उनकी दिवंगत पुत्री मेरी की सहचरी है। उसने यह भी बताया कि मेरी की एक चिट्ठी अब भी उसके पास सुरक्षित है। मैना पहले से ही उनसे मकान नष्ट न करने का अनुरोध कर रही थी। सेनापति को कर्तव्य-बोध के कारण अंग्रेज़ी सरकार की आज्ञा माननी थी। यदि वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें अंग्रेज सरकार के कोप का भागी बनना पड़ता इसलिए अब वे क्या कदम उठाए, इस दुविधा में पड़ गए।
- मैना का परिचय पाकर जनरल ‘हे’ के मन में मैना के अनुरोध पर सहानुभूति पैदा हो गई। वह महल नष्ट करना नहीं चाहते थे पर अंग्रेज सरकार के सेनापति होने के कारण वे अपना कोई निर्णय नहीं ले सकते थे। उन्हें अंग्रेज सरकार की आज्ञा का पालन करना था। अतः कोई निर्णय न ले पाने के कारण वे बड़े दुखी हुए।
- नाना साहब परम देशभक्त थे। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वे अग्रणी नायक थे। कानपुर में अंग्रेजों के साथ युद्ध करते हुए उन्होंनेे अंग्रेज़ी सेना को भारी क्षति पहुँचाई थी। वे देश को अंग्रेज़ों के अन्यायोंं और अत्याचारों से मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र कराना चाहते थे इसलिए अंग्रेज़ उनसे नाराज थे।
- नाना साहब की पुत्री मैना को अपने महल से बहुत लगाव था। उस महल को अंग्रेजों ने जलाकर नष्ट कर दिया था। वह इस प्रासाद के भग्नावशेष पर बैठकर कुछ देर रोना चाहती थी। इसके लिए उसने अनुमति माँगी पर जनरल अउटरम ने उसे अस्वीकार कर दिया। अतः मैना की अंतिम इच्छा इस प्रकार पूरी न हो सकी।
- मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी क्योंकि इसी मकान में वह पल-बढ़कर बड़ी हुई थी। यहीं उसका बचपन बीता था। पिता का मकान होने के कारण वह उसे बहुत प्रिय था | इस मकान से उसकी यादें जुड़ी हुई है। उसकी दृष्टि में इस मकान ने अंग्रेज़ों का अहित नहीं किया है।
नाना साहब ने कानपुर में अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था । यह मकान उन्हीं नाना साहब का था। अंग्रेज़ उनसे बदला लेना चाहते थे इसलिए वे उनसे संबंधित हर वस्तु को नष्ट करना चाहते थे।