अनुच्छेद लेखन - CBSE Test Papers

CBSE Test Paper 01
अनुच्छेद लेखन

  1. प्लास्टिक की दुनिया विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
    • प्लास्टिक का आविष्कार और इसका उपयोग
    • प्लास्टिक के गुण एवं दोष
    • प्लास्टिक का पर्यावरण पर प्रभाव
  2. ई-कचरा विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
    • ई-कचरा से तात्पर्य
    • चिंता का कारण
    • निपटान के उपाय
  3. मेरे जीवन का लक्ष्य विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
    • जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता
    • आपका लक्ष्य क्या है?
    • लक्ष्य क्यों हैं?
    • बनकर क्या करेंगे?
  4. गया समय फिर हाथ नहीं आता विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर अनुच्छेद लिखिए।
    • समय ही जीवन है
    • समय का सदुपयोग
    • समय के दुरुपयोग से हानि
CBSE Test Paper 01
अनुच्छेद लेखन

Answer
  1. प्लास्टिक की दुनिया
    प्लास्टिक का आविष्कार ड्यू बोयस एवं जॉन द्वारा किया गया था। प्लास्टिक का उपयोग मशीन के कल-पुर्जों, पानी की टंकियों, दरवाज़ों, खिड़कियों, चप्पल-जूतों, रेडियो, टेलीविज़न, वाहनों के हिस्सों, आदि में किया जाता है, क्योंकि प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ आसानी से खराब नहीं होतीं। यदि किसी कारण ये टूट-फूट जाएँ, तो इन्हें फिर से बनाकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।
    इनमें मनचाहा रंग मिलाकर इन्हें अधिक आकर्षक भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि प्लास्टिक से बने आकर्षक रंग-बिरंगे फूल असली फूलों से अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। आज लोगों को बाज़ार से सामान प्लास्टिक के बने आकर्षक थैलों में पैक करके मिलता है।
    इसके अनेक उपयोग के बावजूद प्लास्टिक से बनी वस्तुओं से पर्यावरण बुरी तरह दुष्प्रभावित हो रहा है। प्लास्टिक कभी न गलने-सड़ने वाला पदार्थ है, जिसके कारण भूमि, जल, पर्यावरण आदि अत्यधिक प्रदूषित होते जा रहे हैं। अतः हमें प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना चाहिए, ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
  2. ई-कचरा
    ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफ़ी काम हो रहा है। इसके फलस्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाज़ार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह पैदा हो रहा है। ई-कचरे को डालने या खुले में जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
    अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।
  3. मेरे जीवन का लक्ष्य
    जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्य को होना भी अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन भी निरर्थक होता है।
    एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्ष्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक रहा है, इसलिए मैं एक शिक्षक बनना चाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
    मैं शिक्षक बनकर समाज हित में ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चाहूँगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव है। एक आदर्श शिक्षक के रूप में मैं धार्मिक कट्टरता, प्राइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु सभी छात्रों का उचित मार्गदर्शन करूँगा। मैं सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करूँगा। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक सामग्रियों का भरपूर प्रयोग करूँगा, साथ ही छात्रों को हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करूँगा। छात्रों पर नियंत्रण रखने के लिए शैक्षणिक मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान प्राप्त करूँगा। मुझे आज के समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान है, इसलिए मैं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।
  4. महापुरुषों ने कहा है, "समय बहुत मूल्यवान है। एक बार निकल जाने पर यह कभी वापस नहीं आता।" वास्तव में, समय ही जीवन है। इसकी गति को रोकना असंभव है। संसार में अनेक उदाहरण हैं, जो समय की महत्ता को प्रमाणित करते हैं। जिसने समय के मूल्य को नहीं पहचाना, वह हमेशा पछताया है। इसके महत्त्व को पहचानकर इसका सदुपयोग करने वाले व्यक्तियों ने अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त की। जो व्यक्ति समय मिलने पर भी अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते, वे जीवन में असफल रहते हैं।
    जो विद्यार्थी पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं करते, वे फेल होने पर पछताते हैं। तब यह उक्ति कि 'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' चरितार्थ होती है। विद्यार्थी को समय का मूल्य पहचानते हुए हर पल का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि जो समय को नष्ट करता है, एक दिन समय उसे नष्ट कर देता है। महान् पुरुषों ने समय का सदुपयोग किया और अपने जीवन में सफल हुए। स्वामी दयानंद, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मदर टेरेसा आदि इसके ज्वलंत प्रमाण हैं। अतः हमें समय की महत्ता को समझते हुए इसका सदुपयोग करना चाहिए।