डायरी का एक पन्ना - CBSE Test Papers
सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
पाठ-11 डायरी का एक पन्ना सीताराम सेकसरिया
टेस्ट पेपर-01
पाठ-11 डायरी का एक पन्ना सीताराम सेकसरिया
निर्देश -
- सभी प्रश्न अनिवार्य है।
- प्रश्न 1 से 3 एक अंक के है।
- प्रश्न 4 से 8 दो अंक के है।
- प्रश्न 9 से 10 पांच अंक के है।
- पाठ और लेखक का नाम बताइए ।
- कलकत्तावासियों के लिए २६ जनवरी १९३१ का दिन क्यों महत्वपूर्ण था?
- लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
- ‘आज जो बात थी वह निराली थी’− किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
- डॉ दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देखभाल तो कर ही रहे थे, उनकी फोटो भी उतरवा रहे थे। फोटो उतरवाने की क्या वजह हो सकती है?
- ऐसी कौन –सी बात थी, जिससे कलकत्ता के बारे में लग रहा था कि देश स्वतंत्र हो चुका है ?
- जब लेखक ने मोटर में बैठकर सब तरफ़ घूमकर देखा,तो उस समय का दृश्य कैसा था?
- लेखक को खादी भंडार आकर क्या पता चला?
- “जब से कानून भंग का काम शुरु हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए एक ओपन लड़ाई थी”। यहाँ पर कौन- से और किस कानून के भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए -
आज जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
पाठ-11 डायरी का एक पन्ना सीताराम सेकसरिया
(आदर्श उत्तर)
टेस्ट पेपर-01
पाठ-11 डायरी का एक पन्ना सीताराम सेकसरिया
(आदर्श उत्तर)
- पाठ का नाम –डायरी का एक पन्ना,लेखक –सीताराम सेकसरिया ।
- २६ जनवरी १९३१ को कलकत्तावासी महात्मा गाँधी द्वारा घोषित आजादी की सालगिरह मना रहे थे इसलिए वह दिन उनके लिए महत्वपूर्ण था ।
- लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर बताना चाहते थे कि वे अपने को आज़ाद समझ कर आज़ादी मना रहे हैं। उनमें जोश और उत्साह है ।
- आज का दिन निराला इसलिए था क्योंकि स्वतंत्रता दिवस मनाने की प्रथम पुनरावृत्ति थी। पुलिस ने सभा करने को गैरकानूनी कहा था किंतु सुभाष बाबू के आह्वान पर पूरे कलकत्ता में अनेक संगठनों के माध्यम से जुलूस व सभाओं की जोशीली तैयारी थी। पूरा शहर झंडों से सजा था तथा कौंसिल ने मोनुमेंद के नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने का सरकार को खुला चैलेंज दिया हुआ था। पुलिस भरपूर तैयारी के बाद भी कामयाब नहीं हो पाई।
- फोटो उतरवाने का एक ही मकसद हो सकता है। प्रेस में घायलों की फोटो जाने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के स्वाधीनता संग्राम को प्रचार मिल सकता था। इसके साथ ही सरकार द्वारा अपनाई गई बर्बरता को भी दिखाया जा सकता था |
- २६ जनवरी, १९३१ को कलकत्ता में स्त्री-पुरुष,विद्यार्थी सभी उत्साह से भरे हुए थे, उन्होंने अपने-अपने मकानों को राष्ट्रीय झंडे से सजा रखा था । उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था,जैसे भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो चुकी है ।
- जब लेखक ने मोटर में बैठकर सब तरफ़ घूमकर देखा तो उस समय का दृश्य बहुत अच्छा मालूम हो रहा था | जगह–जगह फोटो उतर रहे थे | लेखक की ओर से भी फोटो आदि का प्रबंध किया गया था | दो –तीन बजे सबको पकड़ लिया गया |
- करीब आठ बजे लेखक तथा अन्य लोग खादी भंडार आए,तो कांग्रेस ऑफिस से फ़ोन आया कि यहाँ बहुत से आदमी चोट खाकर आए हैं और कई की हालत गंभीर है,उनके लिये गाड़ी चाहिए |
- यहाँ पर अंग्रेजी राज्य द्वारा सभा न करने के कानून को भंग करने की बात कही गई है। वात्सव में यह कानून भारतवासियों की स्वाधीनता को दमन करने का कानून था इसलिए इसे भंग करना उचित था। इस समय देश की आज़ादी के लिए हर व्यक्ति अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार था। अंग्रेज़ों ने कानून बनाकर आन्दोलन, जुलूसों को गैर कानूनी घोषित किया हुआ था परन्तु लोगों पर इसका कोई असर नहीं था। वे आज़ादी के लिए अपना प्रदर्शन करते रहे, गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास करते रहे थे।
- हजारों स्त्री पुरूषों ने जुलूस में भाग लिया, आज़ादी की सालगिरह मनाने के लिए बिना किसी डर के प्रदर्शन किया। पुलिस के बनाए कानून कि, जुलूस आदि गैर कानूनी कार्य, आदि की भी परवाह नहीं की। पुलिस की लाठी चार्ज होने पर लोग घायल हो गए। खून बहने लगे परन्तु लोगों में जोश की कोई कमी नहीं थी। बंगाल के लिए कहा जाता था कि स्वतंत्रता के लिए बहुत ज़्यादा योगदान नहीं दिया जा रहा है। आज की स्थिति को देखकर उन पर से यह कलंक मिट गया ।