हरिहर काका - CBSE Test Papers
सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
संचयन पाठ-01 हरिहर काका-मिथिलेश्वर
टेस्ट पेपर-01
संचयन पाठ-01 हरिहर काका-मिथिलेश्वर
निर्देश -
- सभी प्रश्न अनिवार्य है।
- प्रश्न 1 से 3 एक अंक के है।
- प्रश्न 4 से 8 दो अंक के है।
- प्रश्न 9 से 10 पांच अंक के है।
- हरिहर काका कौन हैं?
- गाँव में ठाकुरबारी की स्थापना किसने की थी?
- ‘हरिहर काका कहानी लिखने का मूल उद्देश्य क्या है?
- स्वार्थ के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
- वर्त्तमान समय में हरिहर काका जैसे लोगों को देखते हुए युवा पीढ़ी का क्या कर्तव्य होना चाहिए?
- क्या हरिहर काका एक शोषित वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में नज़र आते हैं?
- हरिहर काका को जबरन उठकर ले जाने वालों ने उनके साथ कैसा व्यवहार किया?
- लेखक की ठाकुरबारी के विषय में का राय है?
- हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
- यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी मदद कैसे करेंगे?
सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
संचयन पाठ-01 हरिहर काका-मिथिलेश्वर
(आदर्श उत्तर)
टेस्ट पेपर-01
संचयन पाठ-01 हरिहर काका-मिथिलेश्वर
(आदर्श उत्तर)
- हरिहर काका लेखक मिथिलेश्वेर के पड़ोसी तथा इस कथा के नायक हैं |
- गाँव में ऐसा माना जाता था कि कहीं से कोई साधु आए और एक झोंपड़ी बनाकर वहीं पूजा-पाठ करने लगे |समय के साथ-साथ यह स्थान ठाकुरबारी के रूप में विख्यात हो गया |
- ‘हरिहर काका‘ नामक कहानी लिखने का मूल उद्देश्य है| सगे और पराए लोगों से सावधान करना तथा समाज का चेहरा दिखाना|
- स्वार्थ के लिए लोग कुछ भी करने के लिए तैयार हैं |यहाँ तक के लिए धार्मिक और सामाजिक संस्थाएँ,जो लोगों के कल्याण की बातें करतीं हैं,वे भी इससे अछूती नहीं हैं|
- युवा पीढ़ी का कर्तव्य है कि वह मन लगाकर यथासंभव ऐसे व्यक्तियों की सहायता करे |वृद्धों को उचित देखभाल तथा प्रेम भरे अपनेपन की जरुरत है |उन्हें मान-सम्मान देना तथा यथोचित सेवा करना युवा पीढ़ी का परम कर्तव्य होना चाहिए |
- हरिहर काका के पास ज़मीं-जायदाद है फिर भी वे शोषित वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में नज़र आते हैं| उनके सगे भाइयों के परिवार और सामाजिक व्यवस्था ने अपना स्वार्थ साधने के लिये उन्हें शोषण का शिकार एवं खिन्न मनोवृत्ति वाला बना दिया है|
- महंत के आदमियों ने हरिहर काका को कई बार ज़मीन जायदाद ठाकुरबारी के नाम कर देने को कहा । मंहत ने अपने चेले साधुसंतो के साथ मिलकर उनके हाथ पैर बांध दिए, मुँह में कपड़ा ठूँस दिया और जबरदस्ती अँगूठे के निशान लिए, उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया। जब पुलिस आई तो स्वयं गुप्त दरवाज़े से भाग गए ।
- लेखक की राय ठाकुरबारी के बारे में बहुत अच्छी नहीं है| उसके विचार में यहाँ रहने वाले साधु-संत कुछ करते नहीं हैं | हाँ ठाकुरजी को भोग लगाने के नाम पर अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं| सके अतिरिक्त वे लोगों को अपनी बातों से मूर्ख बनाते हैं |
- कहानी के आधार पर गाँव के लोगों को बिना बताए पता चल गया कि हरिहर काका को उनके भाई नहीं पूछते। इसलिए सुख आराम का प्रलोभन देकर महंत उन्हें अपने साथ ले गया। भाई मन्नत करके काका को वापस ले आते हैं। इस तरह गाँव के लोग दो पक्षों में बँट गए कुछ लोग महंत की तरफ़ थे जो चाहते थे कि काका अपनी ज़मीन धर्म के नाम पर ठाकुरबारी को दे दें ताकि उन्हें सुख आराम मिले, मृत्यु के बाद मोक्ष,यश मिले। महंत ज्ञानी है वह सब कुछ जानता है लेकिन दूसरे पक्ष के लोग कहते कि ज़मीन परिवार वालों को दी जाए। उनका कहना था इससे उनके परिवार का पेट भरेगा। मंदिर को ज़मीन देना अन्याय होगा। इस तरह दोनों पक्ष अपने-अपने हिसाब से सोच रहे थे, परन्तु हरिहर काका के बारे में कोई नहीं सोच रहा था। इन बातों का एक कारण यह भी था कि काका विधुर थे और उनके कोई संतान भी नहीं थी। पंद्रह बीघे ज़मीन के लिए इनका लालच स्वाभाविक था।
- यदि हमारे आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो हम उसकी पूरी तरह मदद करने की कोशिश करेंगे। उनसे मिलकर उनके दुख का कारण पता करेंगे, उन्हें अहसास दिलाएँगे कि वे अकेले नहीं हैं। सबसे पहले तो यह विश्वास कराएँगे कि सभी व्यक्ति लालची नहीं होते हैं। इस तरह मौन रह कर दूसरों को मौका न दें बल्कि उल्लास से शेष जीवन बिताएँ। रिश्तेदारों से मिलकर उनके संबंध सुधारने का प्रयत्न करेंगे। स्वयंसेवी संस्था से मिलकर भी उनकी समस्या को सुलझाने का प्रयास करेंगें। (छात्रों का मत स्वीकार्य )