मेथिलीशरण गुप्त - मनुष्यता - CBSE Test Papers

सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
पाठ-04 मनुष्यता - मैथलीशरण गुप्त

निर्देश -
  1. सभी प्रश्न अनिवार्य है।
  2. प्रश्न 1 और 2 एक अंक के है।
  3. प्रश्न 3 से 8 दो अंक के है।
  4. प्रश्न 9 तीन अंक के है।
  5. प्रश्न 10 पाचं अंक के है।

  1. मनुष्य मात्र बंधूँ है से क्या तात्पर्य है?
  2. कविता एवं कवि का नाम लिखिए?
  3. सुमृत्यु किसे कहते हैं?
  4. महापुरुषों जैसे कर्ण, दधीचि, सीबी ने मनुष्यता को क्या सन्देश दिया है इस कविता में?
  5. किन पंक्तियों से पता चलता है ही हमें गर्व रहित जीवन जीना चाहिए?
  6. अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
    समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े-बड़े।
    परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी।
  7. यह कविता व्यक्ति को किस प्रकार जीवन जीने की प्रेरणा देता है?
  8. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
    विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढ़केलते हुए
    घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी ।
  9. अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
    अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे ,वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।
  10. इस कविता का क्या सन्देश है?
सीबीएसई कक्षा-10 हिंदी ब
टेस्ट पेपर-01
पाठ-04 मनुष्यता - मैथलीशरण गुप्त
आदर्श उत्तर

  1. सभी मनुष्य एक दूसरे के मित्र और बंधु हैं और सब के माता पिता परम परमेश्वर हैं। कोई काम बड़ा या छोटा ऐसा केवल बाहर से प्रतीत होता है।
  2. इस कविता का नाम है 'मनुष्यता' और इसके कवि हैं 'मैथलीशरण गुप्त'।
  3. 3. मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आये और ऐसे इंसान की मृत्यु को भी सुमृत्यु माना जाता है जो मानवता की राह में परोपकार करते हुए आती है । ऐसे मनुष्य को भी लोग उसकी मृत्यु के पश्चात श्रद्धा से याद करते हैं ।
  4. विरासत में मिली चीज़ें हमें हमारे पूर्वज की, पूर्व अनुभवों की और पुरानी परम्पराओं की याद दिलाती है | नई पीढ़ी उनके बारे में जाने, उनके अनुभव से कुछ सीखे और उनकी बनाई हुई श्रेष्ठ परम्पराओं का पालन करें इसी उद्देश्य से विरासत में मिली चीज़ों को संभाल-संभाल कर रखा जाता है।
  5. रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
  6. जिस तरह से ब्रह्माण्ड में अनंत देवी देवता जनहित के लिए एक दूसरे के साथ परस्पर एकसाथ काम करते हैं, उसी तरह इंसान को भी आपसी भाईचारे से काम करना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी से किसी और का काम न चले, बल्कि सभी एक दूसरे के काम आएँ।
  7. हमें दूसरों के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी लोग हमें याद रखें। इंसान को आपसी भाईचारे से काम करना चाहिए। मानव जीवन तभी सार्थक होता है जब वह दूसरों के काम आए ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी से किसी और का काम न चले।
  8. हमें अपने लक्ष्य की ओर हँसते हुए और रास्ते की बाधाओं को हटाते हुए चलते रहना चाहिए। जो रास्ता आपने चुना है उसपर बिना किसी बहस के पूरी निष्ठा से चलना चाहिए। इसमें भेदभाव बढ़ने की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, बल्कि भाईचारा जितना बढ़े उतना ही अच्छा है। वही समर्थ है जो खुद तो पार हो ही और दूसरों की नैया को भी पार लगाए।
  9. यहाँ पर कोई भी अनाथ नहीं है सब सनाथ हैं । भगवान के हाथ इतने बड़े हैं कि उनका हाथ सब के सिर पर होता है। इसलिए यह सोचकर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए कि तुम्हारे पास बहुत संपत्ति या यश है। ऐसा अधीर व्यक्ति बहुत बड़ा भाग्यहीन होता है।
  10. इस कविता के माध्यम से कवि हमें मानवता, सद्भावना, भाईचारा उदारता, करुणा और एकता का सन्देश देते हैं। कवि कहना चाहते हैं की हर मनुष्य पूरे संसार में अपनेपन की अनुभूति करें ।वह जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने में भी पीछे न हटे। उनके लिए करुणा का भाव जगाये | वह अभिमान, अधीरता और लालच का त्याग करें। एक दूसरे का साथ देकर देवत्व को प्राप्त करें | वह सुख का जीवन जिए और मेलजोल बढ़ाने का प्रयास करें । कवि ने प्रेरणा लेने के लिए रतिदेव, क्षितीश, कर्ण और कई महानुभावों के उदाहरण दे कर उनके अतुल्य त्याग के बारे में बताया है ।