साँवले सपनों की याद - पुनरावृति नोट्स
CBSE कक्षा 9 क्षितिज हिंदी अ
पुनरावृत्ति नोट्स
पाठ-5 साँवले सपनों की याद
पुनरावृत्ति नोट्स
पाठ-5 साँवले सपनों की याद
महत्त्वपूर्ण बिन्दु –
- “साँवले सपनों की याद” प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी “सालिम अली’ की मृत्यु के बाद डायरी शैली में लिखा गया संस्मरण है।सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख को लेखक ने इस पाठ के माध्यम से अभिव्यक्त किया है।
- सालिम अली अपने अंतिम सफर में सबसे आगे चलते हुए खामोशी से चले जा रहें हैं। भीड़-भाड़,तनाव से युक्त जिंदगी से यह उनका आखिरी पलायन है। वह उस पक्षी के समान है,जो जीवन का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा है।अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देने के बाद भी उसे पुन; जीवित नहीं किया जा सकता।
- सालिम अली के अनुसार पक्षियों को आदमी की नजर से देखना भूल है,उनकी मधुर आवाज सुनकर कोई भी अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है। सालिम अली इसी धरती पर पैदा हुए मिथक के समान है।
- न जाने कब कृष्ण ने रासलीला रचाई थी,कब गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाया था लेकिन आज भी वृन्दावन जाने पर यमुना नदी का साँवला पानी उस पूरे घटनाक्रम की याद दिला देता है। वृन्दावन कभी भी कृष्ण की बांसुरी से खाली नहीं हो सकता है।
- सालिम अली को सौ वर्ष पूर्ण करने में कुछ ही दिन शेष रह गए थे लेकिन लंबी यात्राओं की थकान और कैंसर जैसी बीमारी के कारण वे उम्र की शती पूरी नहीं कर पाये। फिर भी जीवन के अंतिम क्षणों में भी वे पक्षियों की तलाश और हिफाजत में लगे रहे,उनकी आँख पर चढ़ी दूरबीन इस समर्पण की गवाह थी,जो उनकी मृत्यु के बाद ही उतरी थी।
- सालिम अली के समान शायद ही दूसरा कोई “बर्ड वाचर” हुआ हो,उनका व्यक्तित्व इतना जादुई था कि प्रकृति स्वयं ही उनके प्रभाव में आ जाती थी,उनके लिए प्रकृति रहस्यों से भरी हुई थी और वे हमेशा उसे तलाशने में लगे रहते थे । उनके इस कार्य में उनकी जीवन साथी तहमीना जो उनकी सहपाठी भी थी, ने हमेशा उनका साथ दिया था।
- एक बार सालिम अली प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवा के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर मिले थे । प्रधानमंत्री मिट्टी से जुड़े इंसान थे,उनकी चिंता तथा प्रकृति से जुड़ाव देखकर उनकी आँखों में आँसू आ गए।
- आज सालिम अली और चौधरी चरण सिंह जैसे लोगों का अभाव है जिन्हें प्रकृति और पक्षियों की चिंता हो।उन्होंने अपनी आत्मकथा का नाम “फॉल आफ ए स्पैरो” रखा था।
- प्रसिद्ध अँग्रेजी उपन्यासकार ‘डी॰एच॰लारेंस को प्रकृति से गहरा लगाव था,उनकी मृत्यु के बाद लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीड़ा लारेंस से अपने पति के बारे में कुछ लिखने को कहा तब उन्होंने कहा कि मेरी छत पर बैठने वाली गौरेया उनके बारे में मुझसे ज्यादा जानती है ।
- बचपन में सालिम अली की एयरगन से नीले कंठ वाली गौरेया घायल हो गयी थी उस दिन के बाद से उनके मन में पक्षियों के प्रति जो लगाव उत्पन्न हुआ वह उन्हें आजीवन खोज के नए-नए रास्तों की ओर ले जाता रहा।वे लारेंस की तरह नैसर्गिक ज़िंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
- सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने के बजाए सागर बनकर उभरे थे।जो लोग सालिम अली के स्वभाव से परिचित हैं उन्हें उनकी मृत्यु के बाद ऐसा महसूस होता है कि मानो वे पक्षियों की खोज में निकले हैं और शीघ्र ही गले में लंबी दूरबीन लटकाए खोज पूर्ण नतीजों के साथ लौट आयेंगे, लेखक इसी उम्मीद में हैं कि एक न एक दिन सालिम अली अवश्य लौट आयेंगे।