मेरे बचपन के दिन - प्रश्न-उत्तर

CBSE Class 09 Hindi Course A
NCERT Solutions
क्षितिज पाठ-07 महादेवी वर्मा

1.1 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?
उत्तर:-
लेखिका का जन्म उनके परिवार में दो सौ वर्षों के बाद होने से परिवार में उनका खुशी से स्वागत -सत्कार किया गया जबकि उस समय, अर्थात् सन् 1900 के आसपास भारत में लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। लोगों का दृष्टिकोण संकीर्ण था। प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था। लड़कों को ही महत्त्व दिया जाता था। महादेवी वर्मा अपने एक संस्मरण में लिखती हैं - "बैंड वाले, नौकर-चाकर सब लड़का होने की प्रतीक्षा में खुश बैठे रहते थे। जैसे ही लड़की होने का समाचार मिलता सब चुपचाप विदा हो जाते।" ऐसे वातावरण में लड़कियों के पालन-पोषण तथा पढ़ाई-लिखाई आदि पर ध्यान नहीं दिया जाता था। समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी।

1.2 'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि - लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर:- 
आज लड़कियों के जन्म के संबंध में स्थितियाँ थोड़ी बदली हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है उन्हें उन्नति के समान अवसर प्राप्त हैं परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भी भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, कहीं-कहीं दहेज संबंधी अत्याचार आज भी होते हैं।सरकार लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए प्रयास कर रही है।

3. लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?
उत्तर:- 
लेखिका को उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि नहीं थी। उनके शब्दों में - "ये (बाबा) अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़ारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी।" इसलिए जब उन्हें उर्दू पढ़ाने के लिए मौलवी साहब घर में आते थे तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप जाती थी।

4. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर:- 
महादेवी की माताजी धार्मिक स्वभाव की महिला थीं। वे नित्य पूजा-पाठ किया करती थीं। वे ईश्वर में आस्था रखती थीं। सवेरे प्रभाती,शाम को मीरा के पद गाती थीं। वे रामायण का पाठ करती थी, उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। माॅं ने उन्हें सबसे पहले पंचतंत्र पढ़ने को दी जिससे हिंदी के प्रति उनकी रूचि जाग्रत हुई।

5. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसे क्यों कहा है ?
उत्तर:
 जवारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध उनके सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे।दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक दूसरे के घर में मनाये जाते थे। जवारा की बेगम को महादेवी ताई कह कर बुलाती थी तथा उन्होंने ही उनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार एकसाथ मनाते थे,जब तक महादेवी राखी नहीं बाॅंध देती थी तब तक वे अपने बेटे को पानी भी नहीं पीने देती थीं।बेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी परन्तु हिंदी और उर्दू भी चलती थी। पहले वातावरण में जितनी निकटता थी, वह अब सपना हो गई है। ऐसे आत्मीय संबंधों की आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती।आज आत्मीयता का स्थान आपसी भेदभाव,दिखावा,नीचा दिखाने की आदत ने ले लिया है।                                                                             

• रचना-अभिव्यक्ति6. ज़ेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं / होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती ?
उत्तर:- 
ज़ेबुन्निसा के स्थान पर मैं यदि महादेवी वर्मा को सहायता करती तो उनसे निम्नलिखित अपेक्षाएँ रखती -
1. प्रेम और आदर की भी अपेक्षा करती।
2. पढ़ाई में सहायता चाहती।
3. उनकी स्वरचित कविताएँ सुनने की अपेक्षा रखती।
4. उनसे कविता लिखने का प्रोत्साहन पाना चाहती।

7. महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे / करेंगी ?
उत्तर:- 
यदि मेरे सामने देशहित का प्रश्न आता या किसी विपत्ति को दूर करने का प्रश्न आता तो मैं अपना चाँदी का कटोरा अवश्य दे देती। बेशक मुझे अपने पुरस्कार के प्रति प्रेम है परन्तु देश प्रेम के आगे उसका कोई मूल्य नहीं।एेसा करते समय मुझे गर्व की अनुभूति होती।

8. लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर:- 
मेरी मातृभाषा हिंदी है। लेखिका ने क्रास्थवेट गल्स कॉलेज में पाँचवीं में प्रवेश लिया। यहाँ देश के विभिन्न भागों से छात्राएँ पढ़ने आती थीं।यहाँ पर ये छात्राएँ अपनी-अपनी मातृ भाषा में बातें करती थीं। यहाँ हिंदी, मराठी, अवधी, बुंदेली और ब्रजभाषा आदि भाषाएँ सुनने मिलती थी। सब हिंदी और उर्दू का अध्ययन करती थीं। इस प्रकार छात्रावास का परिवेश बहुभाषी था।

9. महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए ।
उत्तर:- 
एक दिन की बात है, मैं और मेरा मित्र पाठशाला से घर लौट रहे थे। हमें सड़क पार करनी थी। मैं आगे था मैंने ठीक से सड़क पार कर ली परंतु तब तक सिगनल हरा हो गया और वाहन तेज़ गति से आगे बढ़ने लगे। मेरे मित्र ने सड़क के दोनों ओर देखा ही नहीं और लापरवाही से सड़क पार करने लगा। कार चालक ने बड़ा प्रयास किया कि मेरे मित्र को समय रहते सूचित किया जा सके परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। कार चालक ने मेरे मित्र को बचाने के प्रयास में कार को इधर-उधर घुमाने का प्रयास किया। इस प्रयास में उसकी कार हमारे विद्यालय के पास एक पेड़ से जा टकराई। इस टक्कर में कार चालक बुरी तरह घायल हो गया। उसे गंभीर चोटें आईं थीं। संयोग से पास ही अस्पताल होने के कारण कार चालक को चिकित्सा सुविधा समय रहते उपलब्ध करवाई जा सकी और उसकी जान बच गई। इस घटना ने मेरे होश उड़ा दिए। मेरे मित्र को भी बहुत ग्लानि का अनुभव हुआ। उस दिन के बाद मैंने सड़क पार करते हुए कभी लापरवाही नहीं बरती। यह घटना मेरे लिए अविस्मरणीय घटना बन गई।

10. महादेवी ने कवि-सम्मेलनों में कविता-पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर:-

४ अगस्त,२०-
आज हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया गया। इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मुझे अपने मित्र के साथ नृत्य प्रस्तुत करना था। हमारा नृत्य तीसरा था। हम कार्यक्रम शुरू होने पहले वस्त्र और आभूषण के साथ सुसज्ज हो गए थे पर जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी। मैंने पहली बार ऐसे कार्यक्रम में नाम लिखवाया था और देखते-देखते हमारा नाम पुकारा गया। जैसे ही हम मंच पर गए सबने तालियों से हमें प्रोत्साहित किया। मुझ में धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ता गया और मैं नृत्य में लीन हो गया। सब को हमारा नृत्य बहुत अच्छा लगा। यह दिन मुझे हमेशा याद रहेंगा।

• भाषा-अध्ययन11. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए - विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर:- 
• विद्वान - विदुषी (विपरीतलिंग)
• अनंत - अंत
• निरपराधी - अपराधी
• दंड - पुरस्कार
• शांति - बेचैनी

12. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए -
निराहारी, साम्प्रदायिकता, अप्रसन्नता, अपनापन, किनारीदार, स्वतंत्रता

उत्तर:-
शब्द
उपसर्ग
मूलशब्द
प्रत्यय
निराहारी
निर्
आहार
साम्प्रदायिकता
 सम्
प्रदाय

इक,ता

अप्रसन्नता
प्रसन्न
ता
अपनापन
×
अपना
पन
किनारीदार
×
किनारी
दार
स्वतंत्रता
स्व
तंत्र
ता

13. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो -दो-शब्द लिखिए -
उपसर्ग - अन्, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय - दार, हार, वाला, अनीय

उत्तर:-

उपसर्ग
उपसर्ग
शब्द
शब्द
अन्
अनाधिकार
अनंत
अभाव
अकाल
सत्
सत्कर्म
सत्पथ
स्व
स्वाधीन
स्वराज्य
दुर्
दुराचार
दुर्लभ
प्रत्यय -
प्रत्यय
शब्द
शब्द
दार
ईमानदार
हिस्सेदार
हार
पालनहार
तारनहार
वाला
फलवाला
टोपीवाला
अनीय
लेखनीय
दर्शनीय

14. पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए -
पूजा-पाठ पूजा और पाठ

उत्तर:-
सामासिक पद
विग्रह
परमधाम
परम है जो धाम
दुर्गापूजा
दुर्गा की पूजा
कुलदेवी
कुल की देवी
पंचतंत्र
पाँच तंत्रों का समूह
रोना-धोना
रोना और धोना
उर्दू-फ़ारसी
उर्दू और फ़ारसी
चाची-ताई
चाची और ताई
छात्रावास
छात्रों के लिए आवास
कवि-सम्मेलन
कवियों का सम्मेलन
जेब-खर्च
जेब के लिए खर्च