तत्वों का आवर्त वर्गीकरण - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 10 विज्ञान
पाठ-5 तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण
पुनरावृति नोट्स

  • तत्व- ऐसे पदार्थ जो एक ही प्रकार के अणुओं से मिलकर बने हैं जैसे सोडियम, सोना, मैग्नीशियम आदि।
    • अभी तक लगभग 118 तत्व ज्ञात हैं।
    • सभी तत्वों को सुव्यवस्थित ढंग से पढ़ने के लिए उनके वर्गीकरण की आवश्यकता होती हैं।
  • डॉबेराइनर का त्रिक- त्रिक के मध्य तत्व का परमाणु भार अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का लगभग माध्य होता है।
    उदाहरण-
    तत्वपरमाणु भार
    कैल्शियम Ca40.1
    स्ट्राशियम Sr87.6
    बेरियम Ba136.3
  • सीमायें- उस समय तक ज्ञात तत्वों में केवल तीन त्रिक ही ज्ञात कर सकते थे।
  • परमाणु भार- किसी तत्व का परमाणु भार इसके परमाणु का वह भार है जिसका कार्बन 12 के साथ तुलना की जाती हैं जहां कार्बन-12 को 12 इकाइयों के रूप में लिया जाता हैं।
  • न्यूलैंड का अण्टक सिद्धान्त-
    • यह सिद्धान्त तत्वों के बढ़ते हुए परमाणु भार के अनुसार व्यवस्थित हैं।
    • जब तत्वों को बढ़ते परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित किया गया तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण के समान थे। उदाहरण लिथियम और सोडियम धातु के गुण समान हैं।
  • सीमायें-
    • यह नियम केवल कैल्शियम धातु तक सिद्ध होता है।
    • नए तत्वों के गुण इस सारणी से मेल नहीं खाते थे।
    • कुछ तत्वों के गुण इस सारणी के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं थे।
    • यह सारणी केवल हल्की धातुओं के गुणों पर आधारित थी।
  • मैंन्डलीफ का आवर्ती नियम तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण इनके परमाणु द्रव्यमानों के आर्वत फलन हैं।
  • मैन्डलीफ की आवर्त सारिणी तत्वों के रासायनिक गुणधर्मों पर आधारित हैं।
  • इसमें आठ ऊर्ध्वाधर स्तम्भ हैं जिन्हें समूह कहते हैं और सात क्षैतिज पंक्तियां हैं जिन्हें आवर्त कहते है।
  • मैंन्डलीफ की आवर्त सारिणी की उपलब्धियां
    • समान गुणधर्म वाले तत्वों को एक साथ स्थान मिल गया
    • अज्ञात तत्वों के लिए रिक्त स्थान छोड़े गए।
    • अक्रिय गैसों का पता लगने पर पिछली अवस्था को छेड़े बिना ही इन्हें अलग समूह में रखा जा सका।
  • मैंन्डलीफ की आवर्त सारिणी की कमियां
    • हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट न होना।
    • समस्थानिकों को नहीं समझाया जा सका।
    • कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों के अनुचित क्रम
  • आधुनिक आर्वत सारिणी
    • आधुनिक आर्वत नियम-तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या के आवर्त फलन होते हैं। परमाणु संख्या-2 से निरूपित किया जाता है। परमाणु संख्या अणु के केन्द्र में पाए जाने वाले प्रोटोनों की संख्या के बराबर होता है।
  • आधुनिक आर्वत सारिणी में 18 ऊर्ध्वाधर स्तंभ हैं जिन्हें समूह कहते हैं और इसमें 7 क्षैतिज पंक्तियां हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं।
    • एक ही वर्ग समूह के तत्वों में संयोजी इलैक्ट्रानों की संख्या समान होती है।
    • समूह में नीचे जाने पर कोषों की संख्या बढ़ती जाती है।
    • किसी भी आवर्त में पाए जाने वाले सभी तत्वों में कोषों की संख्या समान होती है।
    • प्रत्येक आवर्त एक नए इलैक्ट्रानिक कोष को सुनिश्चित करता है। किसी विशेष आर्वत में पाए जाने वाले तत्वों की संख्या इस बात पर निर्भर करती है कि किस प्रकार इलैक्ट्रान विभिन्न कोशों में भरे जाते हैं।
    • किसी भी कोष में समाने वाले इलैक्ट्रानों की संख्या को फामुले 2n2 के द्वारा निरूपित किया जाता है। जहां n दिए गए कोष की संख्या को दर्शाता है।
      उदाहरण- K कोश - 2 × (1)2 = 2 तत्व अर्थात पहले आवर्त में दो ही तत्व हैं।
      L कोश- 2 × (2) = 8 तत्व अर्थात दूसरे आवर्त में आठ तत्व आ सकते हैं।
  • किसी भी तत्व की आर्वत सारिणी में स्थिति उसकी क्रियाशीलता के बारे में बताती है।
  • आधुनिक आवर्त सारिणी की प्रवृत्ति - संयोजकता- परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित इलैक्ट्रानों की संख्या
  • परमाणु साइज़- परमाणु साइज़ से त्रिज्या का पता चलता है।
  • क्षैतिजत : दायें से बायें जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती हैं क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ता है।
  • समूह में शीर्षों से नीचे की ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि नए कोषों की संख्या बढ़ती है और नाभिकीय आवेश घटता हैं।
  • धात्विक गुण : धात्विक गुण का अर्थ है किसी तत्व के परमाणु द्वारा इलैक्ट्रान त्यागने की क्षमता।
  • आवर्त में इलैक्ट्रानों पर नाभिकीय आवेश दायें से बायें जाने पर बढ़ता हैं इसलिए इलैक्ट्रान त्यागने की क्षमता कम हो जाती है और धात्विक गुण कम हो जाता है।
  • धातु इलैक्ट्रान खोते हैं और धनात्मक आयन बढ़ता है। अतः धातु वैद्युत धनात्मक तत्व कहलाते हैं।
  • जब हम समुह में शीर्ष से नीचे की ओर जाते हैं तो धात्विक गुण बढ़ता है क्योंकि नाभिकीय आवेश कम हो जाता है।
  • अधातुयें वैद्युत ऋणात्मक होती हैं। वे इलैक्ट्रानों को ग्रहण करते हैं।
  • धातुयें आवर्त सारिणी के बायीं ओर पाई जाती हैं जबकि अधातुयें आवर्त सारिणी के दायीं ओर पाई जाती हैं।
  • आवर्त सारिणी के मध्य में उपधातु या अर्धधातुयें पाई जाती हैं। ये कुछ गुण धातुओं के तथा कुछ गुण अधातुओं के दर्शाते हैं।
  • धातु आक्साइड़ क्षारीय प्रवृत्ति के होते हैं जबकि अधातु आक्साइड अम्लीय प्रवृत्ति के होते हैं।
  • आवर्त सारिणी में तत्वों के गुण
    क्रम सं.गुणआवर्त में परिवर्तनकारणसमूह में परिवर्तनकारण
    1.परमाणु साइजकम होता जाता हैआवेश बढ़ जाता है।बढ़ता जाता है1. नए कोशों के जुड़ने के कारण
    2. बाहरी कोश के इलेक्ट्रान और नाभिक के बीच बढ़ती दूरी
    2.धात्विक गुणकम होता जाता हैनाभिकीय बढ़ने के कारण संयोजन इलेक्ट्रानबढ़ता जाता हैनाभिकीय आवेश कम हो जाता है।
    संयोजी इलेक्ट्रान त्यागने की क्षमता बढ़ जाती है।
    3.अधात्विक गुणबढ़ता जाता हैनाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण संयोजी इलेक्ट्रान अपनाने की क्षमता बढ़नाकम हो जाता हैनाभिकीय आवेश कम हो जाता है।
    इलेक्ट्रान अपनाने की क्षमता कम हो जाती है।