अपठित गद्यांश - प्रश्नोत्तर
CBSE class-09 Hindi-A
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
खण्ड ‘क’अपठित गद्यांश
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
खण्ड ‘क’अपठित गद्यांश
अपठित का अर्थ होता है जो पढा नही गया हो अर्थात् जो पाठ्यक्रम की पुस्तक से नही लिया जाता है पद्यांश व गद्यांश का विषय कुछ भी हो सकता है इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते है इससे छात्रों का मानसिक व्यायाम होता है और उनको साहित्यिक ज्ञान क्षेत्र का विस्तार भी होता है साथ ही छात्रों की व्यक्तिगत् योग्यता एवं अभिव्यक्ति की क्षमता भी बढती है
विधि
अपठित गद्यांश व पद्यांश पर आधाारित प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
अपठित गद्यांश व पद्यांश पर आधाारित प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- दिये गये गद्यांश पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढे
- पढ़ते समय मुख्य बातों को रेखांखित करें
- प्रश्नो के उतर देते समय भाषा सरल होनी चाहिए
- उत्तर सरल संक्षित व सहज होने चाहिए
- उत्तर में जितना व पूछा जाए उतना ही लिखना चाहिए
- शीर्षक संबंधी प्रश्न का गद्यांश व पद्यांश के केन्द्रीय भाव को ध्यान में रखकर उत्तर दीजिए
- उत्तर सदैव पूर्ण वाक्य में दें
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर छाँटकर लिखिए- (अंक 5)
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सृदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुन्दर बनता है। यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारम्भ से सुन्दर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुन्दर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रह कर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी कि विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती है।
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सृदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसका स्वास्थ्य सुन्दर बनता है। यदि मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारम्भ से सुन्दर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, समय एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्यार्थी काल ही तो सुन्दर पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रह कर वे सभी गुण आ जाने आवश्यक हैं, जिनकी कि विद्यार्थी को अपने जीवन में आवश्यकता होती है।
1. मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी विद्यार्थी जीवन को क्यों माना गया है।
- पूरा जीवन विद्यार्थी जीवन पर चलता है।
- क्योंकि जो संस्कार संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं
- विद्यार्थी जीवन सुखी जीवन है।
- विद्यार्थी का जीवन स्वस्थ जीवन है।
उत्तर- (क) पूरा जीवन विद्यार्थी जीवन पर चलता है।
2. ‘पाठशाला’ शब्द में कौन सा समास है?
(क) द्वन्द्व (ख) कर्मधारय (ग) तत्पुरूष (घ) अव्ययीभाव
उत्तर- (ख) कर्मधारय
(क) द्वन्द्व (ख) कर्मधारय (ग) तत्पुरूष (घ) अव्ययीभाव
उत्तर- (ख) कर्मधारय
3. जिस वृक्ष को प्रारम्भ से खाद मिल जाती है वह कैसा हो जाता है।
(क) फूल देने वाला (ख) फल देने वाला (ग) सौरभ बिखराने वाला (घ) फूल, फल, सौरभ देने वाला
उत्तर- (घ) फूल, फल, सौरभ देने वाला
(क) फूल देने वाला (ख) फल देने वाला (ग) सौरभ बिखराने वाला (घ) फूल, फल, सौरभ देने वाला
उत्तर- (घ) फूल, फल, सौरभ देने वाला
4. आदर्श विद्यार्थी से क्या तात्पर्य है?
(क) जो परिश्रमी हो (ख) जो अनुशासित हो (ग) जो समय के अनुरूप चल सके (घ) उपरोक्त सभी
उत्तर- (घ) उपरोक्त सभी
(क) जो परिश्रमी हो (ख) जो अनुशासित हो (ग) जो समय के अनुरूप चल सके (घ) उपरोक्त सभी
उत्तर- (घ) उपरोक्त सभी
5. इस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है-
(क) आदर्श नागरिक (ख) विद्यार्थी जीवन (ग) सुखी जीवन (घ) मानसिक विकास
उत्तर- (ख) विद्यार्थी जीवन
(क) आदर्श नागरिक (ख) विद्यार्थी जीवन (ग) सुखी जीवन (घ) मानसिक विकास
उत्तर- (ख) विद्यार्थी जीवन
प्रश्न 2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- (अंक 5)
काशी के सेठ गंगादास एक दिन गंगा में स्नान कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति नदी में कूदा और डुबकियाँ खाने लगा। सेठजी तेजी से तैरते हुए उसके पास पहुँचे और किसी तरह खींच कर उसे किनारे ले आए। वह उनका मुनीम नंदलाल था। उन्होंने पूछा, ‘आप को किसने गंगा में फेंका?’ नंदलाल बोला, ‘किसी ने नहीं, मैं तो आत्महत्या करना चाहता था। ‘सेठजी ने इसका कारण पूछा तो उसने कहा, ‘मैंने आप के पाँच हजार रुपये चुरा कर सट्टे में लगाए और हार गया। मैंने सोचा कि आप मुझे जेल भिजवा देंगे इसलिए बदनामी के डर से मैंने मर जाना ही ठीक समझा।‘ कुछ देर तक सोचने के बाद सेठजी ने कहा, ‘तुम्हारा अपराध माफ किया जा सकता है लेकिन एक शर्त है कि आज से कभी किसी प्रकार का सट्टा नहीं लगाओगे।’ नंदलाल ने वचन दिया कि वह अब ऐसे काम नहीं करेगा। सेठ ने कहा, ‘जाओ माफ किया। पाँच हजार रुपये मेरे नाम घरेलू खर्च में डाल देना।’ मुनीम भौंचक्का रह गया। सेठजी ने कहा, ‘तुमने चोरी तो की है लेकिन स्वभाव से तुम चोर नहीं हो। तुमने एक भूल की है, चोरी नहीं। जो आदमी अपनी एक भूल के लिए मरने तक की बात सोच ले, वह कभी चोर हो नहीं सकता।
(क) सच्चे भक्त से तात्पर्य है-
(i) बिना स्वार्थ के पूजा करना (ii) रोज मंदिर जाना (iii) एक ही भगवान की पूजा करना (iv) अपने धर्म में कट्टरता
उत्तर- (i) बिना स्वार्थ के पूजा करना
(i) बिना स्वार्थ के पूजा करना (ii) रोज मंदिर जाना (iii) एक ही भगवान की पूजा करना (iv) अपने धर्म में कट्टरता
उत्तर- (i) बिना स्वार्थ के पूजा करना
(ख) मुनीम आत्महत्या क्यों करना चाहता था-
(i) जीवन से छुटकारा पाने के लिए (ii) सेठजी को प्रभावित करने के लिए (iii) दुनिया को दिखाने के लिए (iv) अपराध बोध होने के कारण
उत्तर-(iv) अपराध बोध होने के कारण
(i) जीवन से छुटकारा पाने के लिए (ii) सेठजी को प्रभावित करने के लिए (iii) दुनिया को दिखाने के लिए (iv) अपराध बोध होने के कारण
उत्तर-(iv) अपराध बोध होने के कारण
(ग) हमें समाज में किस चीज का डर सबसे ज्यादा होता है-
(i) परिवार का (ii) नौकरी का (iii) रुतबे का (iv) बदनामी का
उत्तर- (iv) बदनामी का
(i) परिवार का (ii) नौकरी का (iii) रुतबे का (iv) बदनामी का
उत्तर- (iv) बदनामी का
(घ) सेठजी को मालूम था कि मुनीम चोर है लेकिन फिर उन्होंने उसे छोड़ दिया क्योंकि-
- बाद में उसे जीवन भर गुलाम बनाना चाहते थे
- भूल सुधारने का मौका देना चाहते थे
- दुनिया को प्रभावित करना चाहते थे
- समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहते थे
उत्तर- (ii) भूल सुधारने का मौका देना चाहते थे
(ङ) गद्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है-
- ‘चोरी की सजा’
- ‘मेरा प्रण’
- ‘सेठजी की दयालुता’
- ‘मुनीम जी का दुख’
उत्तर- (iii) ‘सेठजी की दयालुता’
प्रश्न 3. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- (अंक 5)
प्राचीन काल में शनि को अमंगलकारी ग्रह समझ लिया था। सुनी-सुनाई बातों के आधार पर लोगों में इस ग्रह के बारे में भ्रांतियाँ फैलती चली गई। यह ग्रह अत्यंत मंद गति से सूर्य के चारों ओर करीब तीस वर्ष में एक चक्कर पूरा करता है। शनि का दिन हमारे दिन से छोटा होता है। शनि अत्यंत ठंडा ग्रह है। शनि के वायुमंडल का तापमान शून्य से 150० सेंटीग्रेड नीचे रहता है। अतः यहाँ जीवन संभव नहीं है। वैज्ञानिक खोजों के आधार पर शनि के उपग्रहों की संख्या सत्रह हो गई है। शनि का सबसे बड़ा चंद्र टाइटन है। यह उपग्रह हमारे उपग्रह चंद्रमा से काफी बड़ा है। टाइटन की अद्भुत चीज़ इसका वायुमंडल है। इसके वायुमंडल में मीथेन गैस पर्याप्त मात्र में है। इस पर मीथेन, पानी की तरह मानी जा सकती है। शनि को दूरबीन से देखा जाए तो इसके चारों ओर वलय या घेरे दिखाई देते हैं। इन वलयों या कंकणों से इसकी सुंदरता काफी बढ़ जाती है। इन वलयों की खोज गैलीलियो ने की थी। नई खोजों के आधार पर सौरमंडल के कई ग्रहों के वलयों की खोज हो चुकी है। शनि जितने सुंदर और स्पष्ट वलय किसी ग्रह के नहीं हैं।
(क) शनिग्रह की सुंदरता का कारण है।
(i) इसका सबसे छोटा होना। (ii) सबसे अलग होना। (iii) इसके के चारो ओर चमकते घेरे। (iv) इसका सूर्य के समीप होना।
उत्तर- (iii) इसके के चारो ओर चमकते घेरे।
(क) शनिग्रह की सुंदरता का कारण है।
(i) इसका सबसे छोटा होना। (ii) सबसे अलग होना। (iii) इसके के चारो ओर चमकते घेरे। (iv) इसका सूर्य के समीप होना।
उत्तर- (iii) इसके के चारो ओर चमकते घेरे।
(ख) शनि पर जीवन संभव नहीं है क्योंकि-
(i) वहाँ क्रूर देव हैं। (ii) बहुत गर्मी हैं। (iii) बहुत ठंड है। (iv) बहुत अँधेरा है।
उत्तर- (iii) बहुत ठंड है।
(i) वहाँ क्रूर देव हैं। (ii) बहुत गर्मी हैं। (iii) बहुत ठंड है। (iv) बहुत अँधेरा है।
उत्तर- (iii) बहुत ठंड है।
(ग) धरती का उपग्रह है-
(i) बुध (ii) शनि (iii) चंद्रमा (iv) सूर्य उत्तर- (iii) चंद्रमा
(i) बुध (ii) शनि (iii) चंद्रमा (iv) सूर्य उत्तर- (iii) चंद्रमा
(घ) मीथेन गैस को किसके समान माना गया है।
(i) अग्नि (ii) पानी (iii) मिट्टी (iv) रोशनी
उत्तर- (ii) पानी
(i) अग्नि (ii) पानी (iii) मिट्टी (iv) रोशनी
उत्तर- (ii) पानी
(ङ) शनि के वलयों की खोज करने वाले वैज्ञानिक-
(i) आइनस्टाइन (ii) न्यूटन (iii) सी-वी- रमन (iv) गैलीलियो
उत्तर- (iv) गैलीलियो
(i) आइनस्टाइन (ii) न्यूटन (iii) सी-वी- रमन (iv) गैलीलियो
उत्तर- (iv) गैलीलियो
प्रश्न 4. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- (अंक 5)
जिस प्रकार बीज के उगने और बढ़ने के लिए मौसम विशेष नहीं, अपेक्षित परिस्थितियों का निर्माण जरूरी है। उसी प्रकार किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए बाहरी परिस्थितियाँ नहीं, मन की सकारात्मक वृत्ति अनिवार्य है और वह सकारात्मक वृत्ति है हमारा संकल्प। संकल्पाः कल्पतरवः, तेजः कल्पकोद्यानम्’ अर्थात संकल्प ही कल्पतरु हैं और तेज अथवा मन उन कल्पतरुओं का उद्यान है। जैसी कल्पना वैसा उद्यान अर्थात जीवन की दिशा और दशा। गहन संकल्प से ही संभव है पूर्ण सफलता। कुछ कर गुजरने के लिए वास्तव में मौसम अथवा बाहरी परिस्थितियाँ ही सब कुछ नहीं हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण है मन। इस संपूर्ण सृष्टि के सृजन के मूल में मन ही तो है। मन हीवह अदृश्य सूक्ष्म बीज अथवा सत्ता है जिससे यह पृथ्वी रूपी विशाल वट वृक्ष अस्तित्व में आया और निंरतर पल्लवित-पुष्पित हो रहा है। तभी तो कहा गया है। कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए। साधन सभी जुट जाएँगे संकल्प का धन चाहिए।
जिस प्रकार बीज के उगने और बढ़ने के लिए मौसम विशेष नहीं, अपेक्षित परिस्थितियों का निर्माण जरूरी है। उसी प्रकार किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए बाहरी परिस्थितियाँ नहीं, मन की सकारात्मक वृत्ति अनिवार्य है और वह सकारात्मक वृत्ति है हमारा संकल्प। संकल्पाः कल्पतरवः, तेजः कल्पकोद्यानम्’ अर्थात संकल्प ही कल्पतरु हैं और तेज अथवा मन उन कल्पतरुओं का उद्यान है। जैसी कल्पना वैसा उद्यान अर्थात जीवन की दिशा और दशा। गहन संकल्प से ही संभव है पूर्ण सफलता। कुछ कर गुजरने के लिए वास्तव में मौसम अथवा बाहरी परिस्थितियाँ ही सब कुछ नहीं हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण है मन। इस संपूर्ण सृष्टि के सृजन के मूल में मन ही तो है। मन हीवह अदृश्य सूक्ष्म बीज अथवा सत्ता है जिससे यह पृथ्वी रूपी विशाल वट वृक्ष अस्तित्व में आया और निंरतर पल्लवित-पुष्पित हो रहा है। तभी तो कहा गया है। कुछ कर गुजरने के लिए मौसम नहीं मन चाहिए। साधन सभी जुट जाएँगे संकल्प का धन चाहिए।
(क) जीवन में कुछ कर गुज़रने के लिए आवश्यक है-
(i) मन और मौसम (ii) मन (iii) अनुकुल परिस्थितियाँ (iv) मौसम
उत्तर- (ii) मन
(i) मन और मौसम (ii) मन (iii) अनुकुल परिस्थितियाँ (iv) मौसम
उत्तर- (ii) मन
(ख) कार्य में सफलता के लिए अनिवार्य है-
(i) परिस्थितियाँ (ii) लोगों की सहायता (iii) सकारात्मक वृत्ति (iv) पर्याप्त ज्ञान
उत्तर- (iii) सकारात्मक वृत्ति
(i) परिस्थितियाँ (ii) लोगों की सहायता (iii) सकारात्मक वृत्ति (iv) पर्याप्त ज्ञान
उत्तर- (iii) सकारात्मक वृत्ति
(ग) बीज के उगने और बढ़ने के लिए ज़रूरी है-
(i) अपेक्षित परिस्थितियाँ (ii) मौसम विशेष (iii) किसान का कुशल होना (iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (i) अपेक्षित परिस्थितियाँ
(i) अपेक्षित परिस्थितियाँ (ii) मौसम विशेष (iii) किसान का कुशल होना (iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (i) अपेक्षित परिस्थितियाँ
(घ) हमारी सकारात्मक वृत्ति है-
(i) साहस (ii) विवेक (iii) बुद्धि (iv) संकल्प
उत्तर- (iv) संकल्प
(i) साहस (ii) विवेक (iii) बुद्धि (iv) संकल्प
उत्तर- (iv) संकल्प
(घ) गद्यांश का उचित शीर्षक हो सकता है-
(i) संकल्प का धन (ii) धन का महत्त्व (iii) कर्मठता (iv) बीज की कथा
उत्तर- (i) संकल्प का धन
(i) संकल्प का धन (ii) धन का महत्त्व (iii) कर्मठता (iv) बीज की कथा
उत्तर- (i) संकल्प का धन
प्रश्न 5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- (अंक 5)
परिश्रम उन्नति का द्वार है। मनुष्य परिश्रम के सहारे ही जंगली अवस्था से वर्तमान विकसित अवस्था तक पहुँचा है। उसी के सहारे उसने अन्न, वस्त्र, घर, मकान, भवन, बाँध, पुल, सड़कें बनाईं। तकनीक का विकास किया, जिसके सहारे आज यह जगमगाती सभ्यता चल रही हैं। परिश्रम केवल शरीर की क्रियाओं का ही नाम नहीं हैं। मन तथा बुद्धि से किया गया परिश्रम भी परिश्रम कहलाता है। हर श्रम में बुद्धि तथाविवेक का पूरा योग रहता है। परिश्रम करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। परिश्रमी व्यक्ति का जीवन स्वाभिमान से पूर्ण होता है, वह स्वयं अपने भाग्य का निर्माता होता है। उसमें आत्म-विश्वास होता है। परिश्रमी किसी भी संकट को बहादुरी से झेलता है तथा उससे संघर्ष करता है। परिश्रम कामधेनु है जिससे मनुष्य की सब इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। मनुष्य को मरते दम तक परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जो परिश्रम के वक्त इन्कार करता है, वह जीवन में पिछड़ जाता है।
परिश्रम उन्नति का द्वार है। मनुष्य परिश्रम के सहारे ही जंगली अवस्था से वर्तमान विकसित अवस्था तक पहुँचा है। उसी के सहारे उसने अन्न, वस्त्र, घर, मकान, भवन, बाँध, पुल, सड़कें बनाईं। तकनीक का विकास किया, जिसके सहारे आज यह जगमगाती सभ्यता चल रही हैं। परिश्रम केवल शरीर की क्रियाओं का ही नाम नहीं हैं। मन तथा बुद्धि से किया गया परिश्रम भी परिश्रम कहलाता है। हर श्रम में बुद्धि तथाविवेक का पूरा योग रहता है। परिश्रम करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। परिश्रमी व्यक्ति का जीवन स्वाभिमान से पूर्ण होता है, वह स्वयं अपने भाग्य का निर्माता होता है। उसमें आत्म-विश्वास होता है। परिश्रमी किसी भी संकट को बहादुरी से झेलता है तथा उससे संघर्ष करता है। परिश्रम कामधेनु है जिससे मनुष्य की सब इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। मनुष्य को मरते दम तक परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जो परिश्रम के वक्त इन्कार करता है, वह जीवन में पिछड़ जाता है।
(क) वर्तमान विकसित अवस्था तक मनुष्य कैसे पहुँचा?
(i) अन्न उपजा कर (ii) धन व बुद्धि के बल पर (iii) परिश्रम कर (iv) सुखों को भोग कर
उत्तर- (iii) परिश्रम कर
(i) अन्न उपजा कर (ii) धन व बुद्धि के बल पर (iii) परिश्रम कर (iv) सुखों को भोग कर
उत्तर- (iii) परिश्रम कर
(ख) मन और बुद्धि द्वारा किया जाने वाला कार्य कहलाता है?
(i) चतुरता (ii) विश्राम (iii) विवेक (iv) परिश्रम
उत्तर- (iv) परिश्रम
(i) चतुरता (ii) विश्राम (iii) विवेक (iv) परिश्रम
उत्तर- (iv) परिश्रम
(ग) परिश्रमी व्यक्ति के गुण हैं-
- आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी, संघर्षी एवं स्वयं का भाग्य-निर्माता
- स्वाभिमानी, संघर्षी, दयालु एवं चरित्रवान
- स्वयं का भाग्य-निर्माता, आत्मविश्वासी एवं दयालु
- चरित्रवान, आत्मविश्वासी, भाग्यवादी, सत्यवादी
उत्तर- (i) आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी, संघर्षी एवं स्वयं का भाग्य-निर्माता
(घ) परिश्रम को ‘कामधेनु’ कहने का क्या आशय है?
- सारी बाधाओं को दूर करना
- सारी परिस्थितियों को बदलना
- सारी इच्छाओं को दबाना
- सारी मनोकामनाओं को पूरा करना
उत्तर- (iv) सारी मनोकामनाओं को पूरा करना
(ङ) कौन जीवन में पीछे रह जाता है?
- जो धीरे चलता है।
- जो बिना सोचे तेज़ चलता है।
- जो परिश्रम के समय इन्कार करता है।
- जो आत्मविश्वास का सहारा नहीं लेता।
उत्तर- (iii) जो परिश्रम के समय इन्कार करता है।