CBSE कक्षा - 10 संस्कृत
एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
पाठः - 4 शिशुलालनम्
अभ्यासः
- अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
- रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः कीदृशः आसीत्?
 
- रामः लवकुशौ कुत्र उपवेशयितुम् कथयति?
 
- बालभावात् हिमकरः कुत्र विराजते?
 
- कुशलवयोः वंशस्य कर्त्ता कः?
 
- केन सम्बन्धेन वाल्मीकि कुशलवयोः गुरुः आसीत्?
 
- कुशलवयोः मातरं वाल्मीकि केन नाम्ना आह्वयति?
 
उत्तराणि-
- रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः हृदयग्राही आसीत्।
 
- रामः लवकुशौ अङ्कम्/सिंहासनम् उपवेशयितुम् कथयति।
 
- बालभावात् हिमकरः पशुपति-मस्तके विराजते।
 
- कुशलवयोः वंशस्य कर्त्ता सहस्रदीधितिः।
 
- उपनयनोपदेशेन वाल्मीकिः कुशलवयोः गुरुः आसीत्।
 
- कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः वधूः नाम्ना आह्वयति।
 
 
- रेखाङ्कितेषु पदेषु विभक्तिं तत्कारण च उदाहरणानुसार निर्दिशत-
|   |   | विभक्तिः | तत्कारणम् | 
| यथा- | राजन्! अलम् अतिदाक्षिण्यैन। | तृतीया | 'अलम्' योगे | 
| i. | रामः लवकुशौ आसनार्धम् उपवेशयति। | _____ | _____ | 
| ii. | धिङ् माम् एवं भूतम्। | _____ | _____ | 
| iii. | अङ्कव्यवहितम् अध्यास्यतां सिंहासनम्। | _____ | _____ | 
| iii. | अलम् अतिविस्तरेण। | _____ | _____ | 
| iv. | रामम् उपसृत्य प्रणभ्य च। | _____ | _____ | 
उत्तराणि-
- 'उपवेशयति' इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।
 
- 'धिङ् (धिक्)' अव्यय कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।
 
- 'अध्यास्यताम्' इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्ति अस्ति।
 
- 'अलम्' अव्यय कारणेन तृतीया विभक्तिः अस्ति।
 
- 'उपसृत्य' इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्ति अस्ति।
 
 
- यथानिर्देशम् उत्तरत्-
- 'जानाम्यहं तस्य नामधेयम्' अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम्?
 
- 'किं कुपिता एवं भणति उत प्रकृतिस्था'-अस्मात् वाक्यात् 'हर्षिता' इति पदस्य विपरीतार्थकपदं चित्वा लिखत।
 
- विदूषकः (उपसृत्य) 'आज्ञापयतु भवान्!' अत्र भवान् इति पदं कस्में प्रयुक्तम्?
 
- 'तस्माङ्क-व्यवहितम् अध्याख्याताम् सिंहासनम्'-अत्र क्रियापदं किम्?
 
- 'वयसस्तु न किञ्चिदन्तरम्'-अत्र 'आयुषः' इत्यर्थे किं पदं प्रयुक्तम्?
 
उत्तराणि-
- अहम्
 
- कुपिता
 
- रामः
 
- अध्यास्याताम्
 
- वयसस्तु
 
 
- अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति-
|   |   | कः | कम् | 
| i. | सव्यवधानं च चारित्र्यलोपाय। | _____ | _____ | 
| ii. | किं कुपिता एवं भणति, उत प्रकृतिस्था? | _____ | _____ | 
| iii. | जानाम्यहं तस्य नामधेयम्। | _____ | _____ | 
| iv. | तस्या द्वे नाम्नी। | _____ | _____ | 
| v. | वयस्य! अपूर्व खलु नामधेयम्। | _____ | _____ | 
उत्तराणि-
|   |   | कः | कम् | 
| i. | सव्यवधानं च चारित्र्यलोपाय। | रामः | उभौ (कुशलवौ) | 
| ii. | किं कुपिता एवं भणति, उत प्रकृतिस्था? | विदूषकः | कुशम् | 
| iii. | जानाम्यहं तस्य नामधेयम्। | कुशः | रामम् | 
| iv. | तस्या द्वे नाम्नी। | लवः | विदूषकम् | 
| v. | वयस्य! अपूर्व खलु नामधेयम्। | रामः | विदूषकम् | 
 
- मञ्जूषातः पर्यायद्वयं चित्वा पदानां समक्षं लिखत-
[शिवः, शिष्टाचारः, शशिः, चन्द्रशेखरः, सुतः, इदानीम्, अधुना, पुत्रः, सूर्यः, सदाचारः, निशाकरः, भानुः]
| i. | हिमकरः | - | _________ | _________ | 
| ii. | सम्प्रति | - | _________ | _________ | 
| iii. | समुदाचारः | - | _________ | _________ | 
| iv. | पशुपतिः | - | _________ | _________ | 
| v. | तनयः | - | _________ | _________ | 
| vi. | सहस्रदीधितिः | - | _________ | _________ | 
 उत्तराणि-
| i. | हिमकरः | - | शशिः | निशाकरः | 
| ii. | सम्प्रति | - | इदानीम् | अधुना | 
| iii. | समुदाचारः | - | शिष्टाचारः | सदाचारः | 
| iv. | पशुपतिः | - | शिवः | चन्द्रशेखरः | 
| v. | तनयः | - | पुत्रः | सुतः | 
| vi. | सहस्रदीधितिः | - | सूर्यः | भानुः | 
 
- (अ) उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेषु पदेषु प्रयुक्त प्रकृति-प्रत्ययञ्च लिखत-
|   | पदानि |   | प्रकृतिः | + | प्रत्ययः | 
| यथा- | आसनम् | - | आस् | + | ल्युट् प्रत्ययः | 
| i. | युक्तम् | - | ______ | + | ______ | 
| ii. | भानम् | - | ______ | + | ______ | 
| iii. | शालीनता | - | ______ | + | ______ | 
| iv. | लालनीयः | - | ______ | + | ______ | 
| v. | छदत्वम् | - | ______ | + | ______ | 
| vi. | सन्निहितः | - | ______ | + | ______ | 
| vii. | सम्माननीया | - | ______ | + | ______ | 
उत्तराणि-
| i. | युक्तम् | - | युज् | + | क्त | 
| ii. | भानम् | - | भाज् | + | ल्युट् | 
| iii. | शालीनता | - | शालीन् | + | तल् | 
| iv. | लालनीयः | - | लाल् | + | अनीयर् | 
| v. | छदत्वम् | - | छद | + | त्व | 
| vi. | सन्निहितः | - | सन्निह | + | इतस् | 
| vii. | सम्माननीया | - | सम्नानीय | + | टाप् | 
(आ) विशेषण-विशेष्यपदानि योजयत-
| यथा-विशेषण पदानि | विशेष्य पदानि | 
| श्लाघ्या | कथा | 
| (i) उदात्तरम्यः | (क) समुदाचारः | 
| (ii) अतिदीर्घः | (ख) स्पर्शः | 
| (iii) समरूपः | (ग) कुशलवयोः | 
| (iv) हृदयग्राही | (घ) प्रवासः | 
| (v) कुमारयोः | (ङ) कुटुम्बवृत्तान्तः | 
उत्तराणि-
| यथा-विशेषण पदानि | विशेष्य पदानि | 
| श्लाघ्या | कथा | 
| (i) उदात्तरम्यः | (क) समुदाचारः | 
| (ii) अतिदीर्घः | (घ) प्रवासः | 
| (iii) समरूपः | (ङ) कुटुम्बवृत्तान्तः | 
| (iv) हृदयग्राही | (ख) स्पर्शः | 
| (v) कुमारयोः | (ग) कुशलवयोः | 
 
- (अ) अधोलिखितपदेषु सन्धिं कुरुत-
- द्वयोः + अपि - ________
 
- द्वौ + अपि - ________
 
- कः + अत्र - _________
 
- अनभिज्ञः + अहम् - ________
 
- इति + आत्मानम् - ________
 
उत्तराणि-
- द्वयोरपि
 
- द्वावपि
 
- कोऽत्र
 
- अनभिज्ञोऽहम्
 
- इत्यात्मानम्
 
(आ) अधोलिखितपदेषु विच्छेदं कुरुत-
- अहमप्येतयोः - _______
 
- वयोऽनुरोधात् - _______
 
- समानाभिजनौ - _______
 
- खल्वेतत् - ___________
 
उत्तराणि-
- अहम् + अपि + एतयोः
 
- वयः + अनुरोधात्
 
- समान + अभिजनौ
 
- खलु + एतत्