यमराज की दिशा - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 9 हिंदी-A क्षितिज
पाठ-16 यमराज की दिशा
पुनरावृत्ति नोट्स

महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
“यमराज की दिशा”कविता में कवि सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहना चाहता है कि जीवन विरोधी ताक़तें चारों ओर फैलती जा रही हैं,जीवन के दुख-दर्द के बीच संघर्ष करती हुई माँ अपशकुन के रूप में जिस भय की चर्चा करती थी,वह अब दक्षिण दिशा में ही नहीं है बल्कि सर्वव्यापक है।
  1. कवि माँ के विषय में कहता है कि उसकी माँ की ईश्वर में गहन आस्था है,उसके आत्मविश्वास को देख कर लगता है कि वह हमेशा ईश्वर के निर्देशानुसार ही जीवनयापन करती है। उसके बताए गए रास्तों से ही वह जीवन जीने के तरीके और दुख सहने के माध्यम खोज लेती है। एक बार माँ ने कवि (बेटे) से कहा था कि कभी दक्षिण की  ओर पैर करके मत सोना, वह दिशा मृत्यु के देवता यमराज की दिशा है और उस ओर पैर कर के सोने से वे क्रोधित हो जायेंगे,उन्हें क्रोधित करना अच्छी बात नहीं है। (माँ धर्मभीरु है,निश्चय ही वह शकुन-अपशकुन मानती है इसलिए अपने पुत्र को आने वाले खतरों से आगाह करती है)
  2. कवि जब छोटे थे तब एक बार उन्होंने माँ से यमराज के घर का पता पूछा था तब माँ ने उन्हें बताया था कि तुम जहाँ कहीं भी हो वहाँ से दक्षिण की ओर यमराज का निवास है। माँ की सलाह के अनुसार कवि कभी भी दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोया इसका यह फायदा अवश्य हुआ कि वह दक्षिण दिशा अच्छी तरह से पहचानने लगा और उसे कभी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा।
  3. कवि दक्षिण दिशा में दूर-दूर तक गया और उसे माँ की सीख हमेशा याद आती रही किन्तु दक्षिण दिशा को लांघ पाना असंभव था अर्थात वह कभी भी दक्षिण दिशा को पार नहीं कर पाया जिससे वह यमराज का घर नहीं देख पाया। माँ के कथनानुसार केवल दक्षिण ही असुरक्षित थी किन्तु आज स्थिति बदल गयी है,जिस तरफ पैर करके सो वहीं दक्षिण दिशा हो जाती है क्योंकि आज यमराज अपनी दहकती आँखों के साथ हर ओर अपने आलीशान महलों में निवास करते हैं अर्थात चारों ओर विध्वंस,हिंसा,और मृत्यु का वातावरण है। जो लोग गलत हैं वे सुख पूर्वक रहते हैं । माँ भी अब नहीं है और न ही उसकी बताई हुई दक्षिण दिशा है। फिर भी बदली हुई विषम परिस्थितियों का सामना हमें करना है।