मेघ आए - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 9 हिंदी-A क्षितिज
पाठ-15 मेघ
पुनरावृत्ति नोट्स

महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
“मेघ आए “कविता में कवि ने मेघों की तुलना सजकर आए प्रवासी अतिथि से की है। ग्रामीण संस्कृति में दामाद की किसप्रकार खूब आवभगत किया जाता है इसका सजीव वर्णन कवि ने इस कविता के माध्यम से किया है।
  1. जिस प्रकार गाँव में शहरी दामाद बन-ठन कर सँवर कर आता है उसी प्रकार आकाश में मेघ भी आकर्षक रूप में आते हैं उनके आने से प्रकृति में मनमोहक परिवर्तन होते हैं । मेघ रूपी दामाद के स्वागत में उसके आगे-आगे ठंडी हवा चलने लगती है अर्थात गाँव की चंचल लड़कियाँ उस दामाद के आगे-आगे चलने लगती है। गली-गली में लोग दरवाजे-खिड़कियाँ खोल-खोल कर उसे देखने लगते है अर्थात लोग दरवाजे खिड़कियाँ खोल कर मौसम का आनंद लेते हैं। पेड़ झुक कर और गरदन उचका कर झाँकने लगते हैं अर्थात ग्रामीण उत्सुकता से भर कर उस मेहमान को देखते हैं,आंधी चलने लगती है ऐसा लगता कि मानो धूल घाघरा उठा कर भाग रही हो। नदी रूपी नायिका ने बाँकी चितवन उठा कर ठिठकते हुए जब उस मेघ रूपी दामाद को देखा तब उसके इस प्रयास में उसका घूँघट सरक गया। इन पंक्तियों में मेघ,बयार,पेड़,आंधी,नदी के मानवीकरण के साथ रूपक अलंकार का सुंदर प्रयोग है।
  2. मेघ रूपी दामाद के आगमन पर सबसे पहले बूढ़े पीपल अर्थात गाँव के बुजुर्ग ने उसकी अगवानी की। दरवाजे की ओट से लता रूपी नायिका ने मेघ रूपी नायक को उलाहना देते हुए कहा कि इस बार आने में उसने एक वर्ष लगा दिया और बहुत प्रतीक्षा करवाई अर्थात वह उसके आने का वह बेसब्री से इंतजार कर रही थी। ताल रूपी सेवक परात भर कर पानी लाता है ताकि मेघ रूपी दामाद के आने पर उसकी थकान उतार सके जैसे ग्रामीण संस्कृति में सेवक अतिथियों के पैर धुलता है जिससे उनकी थकान दूर हो जाए। पीपल,लता,ताल का मानवीकरण किया गया है।
  3. मेघ के आने पर आकाश में बिजली चमकती है,लता रूपी नायिका और मेघ रूपी नायक का मिलन हो जाता है। यह मिलन क्षितिज रूपी अटारी पर होता है। उनके बीच के सभी भ्रम दूर हो जाते हैं,वर्षा जल मिलन रूपी अश्रुओं के रूप में बरसने लगती है और मन की गांठ खुल जाने पर उनका मिलन हो जाता है।मेघ ,दामिनी के मानवीकरण के अलावा अनुप्रास अलंकार के साथ मुहावरों का भी सुंदर प्रयोग है ।