बिहारी-दोहे - एनसीईआरटी प्रश्न-उत्तर
CBSE Class 10 Hindi Course B
NCERT Solutions
स्पर्श पाठ-03
बिहारी [कविता]
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स्पर्श पाठ-03
बिहारी [कविता]
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
1. छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है?
उत्तर: ग्रीष्म ऋतु के जेठ मास की दोपहर में धूप इतनी तेज़ होती है कि सिर पर आने लगती है जिससे वस्तुओं की छाया छोटी होती जाती है| कवि बिहारी का कहना है कि जेठ की दोपहर में सूर्य की तेज़ किरणों के कारण वृक्षों और घरों की छाया भी घर में सिमट कर रह गई है| इसलिए लगता है कि गर्मी में छाया भी त्रस्त होकर छाया ढूँढ़ने लगती है।
1. छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है?
उत्तर: ग्रीष्म ऋतु के जेठ मास की दोपहर में धूप इतनी तेज़ होती है कि सिर पर आने लगती है जिससे वस्तुओं की छाया छोटी होती जाती है| कवि बिहारी का कहना है कि जेठ की दोपहर में सूर्य की तेज़ किरणों के कारण वृक्षों और घरों की छाया भी घर में सिमट कर रह गई है| इसलिए लगता है कि गर्मी में छाया भी त्रस्त होकर छाया ढूँढ़ने लगती है।
2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की' बात-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बिहारी की नायिका विरह की अग्नि में जल रही है। वह अपने प्रिय को पत्र द्वारा संदेश देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय उसे कँपकँपी और आँसू आ जाते हैं इसलिए लिखते समय वह अपने मन की बात बताने में खुद को असमर्थ पाती है। किसी के द्वारा नायक के लिए संदेश भेजने में उसे लज्जा महसूस होती है इसलिए वह सोचती है कि मेरी जो विरह अवस्था है,वही उसके प्रिय की भी होगी। वह अपनी सखी से कहती है कि अपने हृदय की वेदना से वह मेरी वेदना को समझ जाएँगे। सच्चे प्रेमी एक-दूसरे के हृदय की बात को स्वयं ही महसूस कर लेते हैं।
उत्तर: बिहारी की नायिका विरह की अग्नि में जल रही है। वह अपने प्रिय को पत्र द्वारा संदेश देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय उसे कँपकँपी और आँसू आ जाते हैं इसलिए लिखते समय वह अपने मन की बात बताने में खुद को असमर्थ पाती है। किसी के द्वारा नायक के लिए संदेश भेजने में उसे लज्जा महसूस होती है इसलिए वह सोचती है कि मेरी जो विरह अवस्था है,वही उसके प्रिय की भी होगी। वह अपनी सखी से कहती है कि अपने हृदय की वेदना से वह मेरी वेदना को समझ जाएँगे। सच्चे प्रेमी एक-दूसरे के हृदय की बात को स्वयं ही महसूस कर लेते हैं।
3. सच्चे मन में राम बसते हैं-दोहे के संदर्भानुसार भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कवि बिहारी के अनुसार भक्ति का सच्चा रूप हृदय की सच्चाई में निहित है। बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धार्मिक कर्मकांड को दिखावा समझते थे। उनके अनुसार माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से ईश्वर की प्राप्ति नहीँ होती । जो लोग व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं ,वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, लेकिन ईश्वर को नहीं। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।
उत्तर: कवि बिहारी के अनुसार भक्ति का सच्चा रूप हृदय की सच्चाई में निहित है। बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धार्मिक कर्मकांड को दिखावा समझते थे। उनके अनुसार माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से ईश्वर की प्राप्ति नहीँ होती । जो लोग व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं ,वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, लेकिन ईश्वर को नहीं। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।
4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?
उत्तर: गोपियाँ श्रीकृष्ण से बहुत प्रेम करती हैं और उनसे बातें करके उन्हें अपने मन के भाव बताना चाहती हैं। श्रीकृष्णको अपनी बाँसुरी बहुत प्रिय है। वे उसे बजाते समय अपनी सुध-बुध भूल जाते हैं। गोपियाँ उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मुरली छिपा देती हैंताकि बाँसुरी माँगने के बहाने कृष्ण उनसे बातें करें। जब श्रीकृष्ण उनसे बाँसुरी के बारे में पूछते हैं तो गोपियों ने बाँसुरी अपने पास होते हुए भी इंकार कर देती हैं, इसी बहाने उन्हें श्रीकृष्ण से बात करने का अवसर मिल जाता है ।
उत्तर: गोपियाँ श्रीकृष्ण से बहुत प्रेम करती हैं और उनसे बातें करके उन्हें अपने मन के भाव बताना चाहती हैं। श्रीकृष्णको अपनी बाँसुरी बहुत प्रिय है। वे उसे बजाते समय अपनी सुध-बुध भूल जाते हैं। गोपियाँ उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मुरली छिपा देती हैंताकि बाँसुरी माँगने के बहाने कृष्ण उनसे बातें करें। जब श्रीकृष्ण उनसे बाँसुरी के बारे में पूछते हैं तो गोपियों ने बाँसुरी अपने पास होते हुए भी इंकार कर देती हैं, इसी बहाने उन्हें श्रीकृष्ण से बात करने का अवसर मिल जाता है ।
5 . कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कवि बिहारी ने बताया है कि घर में सबकी उपस्थिति में नायक और नायिका इशारों में अपने मन की बात करते हैं। नायिका परिवार के लोगों के बीच बैठी है, तभी नायक द्वार पर आकर उससे इशारे में प्रेम-निवेदन करता है परनायिका इशारे से मना कर देती है । नायिका के मना करने की अदा पर नायक रीझ जाता है । इसे देखकर पहले नायिका खीज उठती है पर दोनों के नेत्र मिल जाने पर आँखों में प्रेम स्वीकृति का भाव आता हैा। इस पर नायक प्रसन्न हो जाता है और नायिका की आँखों में लज्जा आ जाती है। इस प्रकार कवि बिहारी का कहना है कि प्रेम- प्रदर्शन में शब्दों की आवयश्कता नहीं पड़ती।
उत्तर: कवि बिहारी ने बताया है कि घर में सबकी उपस्थिति में नायक और नायिका इशारों में अपने मन की बात करते हैं। नायिका परिवार के लोगों के बीच बैठी है, तभी नायक द्वार पर आकर उससे इशारे में प्रेम-निवेदन करता है परनायिका इशारे से मना कर देती है । नायिका के मना करने की अदा पर नायक रीझ जाता है । इसे देखकर पहले नायिका खीज उठती है पर दोनों के नेत्र मिल जाने पर आँखों में प्रेम स्वीकृति का भाव आता हैा। इस पर नायक प्रसन्न हो जाता है और नायिका की आँखों में लज्जा आ जाती है। इस प्रकार कवि बिहारी का कहना है कि प्रेम- प्रदर्शन में शब्दों की आवयश्कता नहीं पड़ती।
निम्नलिखितका भाव स्पष्ट कीजिए |
6. मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु परयो प्रभात।
उत्तर: इस पंक्ति में श्रीकृष्ण के अतुल्य सौंदर्य का वर्णन है। श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीले रंग के वस्त्र हैं,जो देखने में ऐसे प्रतीत होते हैं मानों नीलमणि पर्वत पर सूर्य की किरणें अपनी आभा फैला रही हों।
उत्तर: इस पंक्ति में श्रीकृष्ण के अतुल्य सौंदर्य का वर्णन है। श्रीकृष्ण के साँवले शरीर पर पीले रंग के वस्त्र हैं,जो देखने में ऐसे प्रतीत होते हैं मानों नीलमणि पर्वत पर सूर्य की किरणें अपनी आभा फैला रही हों।
7. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।
उत्तर: इस पंक्ति का भाव यह है कि ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी से पूरा जंगल तपोवन जैसा पवित्र बन गया है। सबकी आपसी दुश्मनी समाप्त हो गई है। साँप,मोर, हिरण और सिंह सभी पशु , गर्मी से बचने के लिए एक साथ रह रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे गर्मी के प्रभाव से बचने के लिए ये आपसी शत्रुता को भूल कर प्रेम से एक साथ रह रहे हैं।
उत्तर: इस पंक्ति का भाव यह है कि ग्रीष्म ऋतु की भीषण गर्मी से पूरा जंगल तपोवन जैसा पवित्र बन गया है। सबकी आपसी दुश्मनी समाप्त हो गई है। साँप,मोर, हिरण और सिंह सभी पशु , गर्मी से बचने के लिए एक साथ रह रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे गर्मी के प्रभाव से बचने के लिए ये आपसी शत्रुता को भूल कर प्रेम से एक साथ रह रहे हैं।
जपमाला, छापैं, तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु।।
उत्तर: इन पंक्तियों द्वारा कवि बिहारी ने बाहरी आडंबरों का खंडन करके भगवान की सच्ची भक्ति करने पर बल दिया है। इस दोहे का भाव है कि माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने अर्थात बाहरी दिखावों से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। कच्चे मन वालों का हृदय विचलित रहता है इसलिए वे ही ऐसा करते हैं। जो इन व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं ,वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, परन्तु ईश्वर को नहीं।भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते हैं इसलिए मन पर नियंत्रण ही एकनिष्ठ भक्ति है।
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु।।
उत्तर: इन पंक्तियों द्वारा कवि बिहारी ने बाहरी आडंबरों का खंडन करके भगवान की सच्ची भक्ति करने पर बल दिया है। इस दोहे का भाव है कि माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने अर्थात बाहरी दिखावों से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। कच्चे मन वालों का हृदय विचलित रहता है इसलिए वे ही ऐसा करते हैं। जो इन व्यर्थ के आडंबरों में भटकते रहते हैं ,वे झूठा प्रदर्शन करके दुनिया को धोखा दे सकते हैं, परन्तु ईश्वर को नहीं।भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। राम तो सच्चे मन से याद करने वाले के हृदय में रहते हैं इसलिए मन पर नियंत्रण ही एकनिष्ठ भक्ति है।