नाना साहब - पुनरावृति नोट्स

CBSE कक्षा 9 क्षितिज हिंदी अ
पुनरावृत्ति नोट्स
पाठ-4 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
  1. सन १८५७ की क्रांति के विद्रोही नेता धुँधूपंत नाना साहब की पुत्री बालिका मैना के बलिदान की कहानी को चपला देवी ने गद्य रचना में प्रस्तुत किया है । इस गद्य रचना को मुद्रण और वर्तनी में बिना किसी परिवर्तन के प्रस्तुत किया गया है।
  2. १८५७ की क्रांति के विद्रोही नेता नाना साहब कानपुर में असफल होने के बाद जब वहाँ से भागे तब अपनी पुत्री मैना को अपने साथ नहीं ले जा पाये,उस समय वे बिठूर में पिता के महल में रहती थी।
  3. कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों के सैनिक दल ने बिठूर में नाना साहब का महल लूट लिया और जैसे ही महल को भस्म करने के लिए तोपें लगाई उसी समय महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गयी जिसे देख कर अंग्रेज़ सेनापति हे को बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि महल को लूटते समय वह बालिका कहीं दिखाई नहीं दी थी।
  4. मैना के करुणापूर्ण मुख और अल्पावस्था देखकर सेनापति को कुछ दया आ गयी तब उन्होंने उससे पूछा –
    कि,वह क्या चाहती है ? बालिका ने शुद्ध अंग्रेजी भाषा में उत्तर दिया –
    क्या आप हमारे महल की रक्षा करेंगे,इस को गिराने के पीछे आपका क्या उद्देश्य है ?
    सेनापति ने बताया कि उन्हें अंग्रेज़ सरकार की ओर से नाना साहब के वासस्थान को विध्वंस करने का आदेश दिया गया था।
  5. बालिका ने अपना उद्देश्य स्पष्ट करते हुये कहा कि यह स्थान उसे बहुत प्रिय है इसलिए इसे न गिराए जो आपके दोषी हैं उन्हें जाकर पकड़ें।
  6. कर्त्तव्य के आगे विवश सेनापति हे को मैना ने बताया कि वह उनकी मृत पुत्री मेरी की सहचरी थी,उनमें घनिष्ठ संबंध था,उसका अंतिम पत्र भी उसके पास अभी भी सुरक्षित है और वे भी उससे अपनी पुत्री जैसा स्नेह करते थे । ये सुनकर सेनापति के होश उड़ जाते हैं ।
  7. सेनापति उसे पहचान जाते हैं और उसकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं,इसके लिए उन्होंने प्रधान सेनापति जनरल अउटरम से नाना साहब का महल बचाने की प्रार्थना की ,पर अउटरम ने उनका आग्रह नहीं माना। उन्होंने कहा कि यह महल विध्वंस किए बिना और नाना की लड़की को गिरफ्तार किए बिना नहीं छोड़ सकते।
  8. इसके बाद अउटरम ने महल घेर लिया लेकिन मैना कहीं नहीं मिली ,तत्पश्चात लॉर्ड केनिंग का तार उन्हें मिला जिसमें नाना का स्मृति चिह्न तक मिटाने का आदेश दिया गया था।
  9. जनरल की आज्ञा से महल पर गोले बरसा कर उसे नष्ट कर दिया गया पर मैना वहाँ कहीं नहीं थी। लंदन के प्रसिद्ध समाचार पत्र में लिखा गया कि “बड़े दुख का विषय कि भारत सरकार नाना साहब को नहीं पकड़ सकी लेकिन हम अंग्रेजों के हत्याकांड का बदला लेना नहीं भूलेंगे। ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ में सर टामस हे के लिए भी अपमानजनक टिप्पड़ी की गयी कि वे वृद्धावस्था में बालिका के सौंदर्य पर मोहित होकर अपना कर्त्तव्य भूल गए।
  10. सन ५७ के सितम्बर में नाना साहब के महल के भग्न अवशेषों पर बैठ कर रोती हुई मैना को  अउटरम के सैनिकों ने पकड़ लिया किन्तु वह बालिका उससे तनिक भी नहीं डरी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
  11. उसने जनरल से उस स्थान पर जी भर कर रोने की आज्ञा माँगी किन्तु उसकी यह अंतिम इच्छा पूरी नहीं की गयी और हथकड़ी लगा कर कानपुर के किले में कैद कर दिया गया।
  12. “बाखर” पत्र में छपा कि “कल कानपुर के किले में नाना साहब की एक मात्र कन्या मैना धधकती आग में जला कर भस्म कर दी गयी,और अग्नि में जलती उस शांत एवं सरल मूर्ति को सभी ने देवी समझ कर प्रणाम किया ।“