यमराज की दिशा - प्रश्न-उत्तर
CBSE Class 09 HIndi Course A
NCERT Solutions
क्षितिज पाठ-16 चंद्रकांत देवताल
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क्षितिज पाठ-16 चंद्रकांत देवताल
1. कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई ?
उत्तर:- कवि को बचपन से माँ ने यही सिखाया था कि दक्षिण दिशा की ओर यमराज का घर होता है अत:उस ओर कभी अपने पैर करके नहीं सोना, उस तरफ़ पैर रखकर सोना यमराज को नाराज करने के समान है। माँ द्वारा मिली इस सीख के कारण कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
उत्तर:- कवि को बचपन से माँ ने यही सिखाया था कि दक्षिण दिशा की ओर यमराज का घर होता है अत:उस ओर कभी अपने पैर करके नहीं सोना, उस तरफ़ पैर रखकर सोना यमराज को नाराज करने के समान है। माँ द्वारा मिली इस सीख के कारण कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल नहीं हुई।
2. कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था ?
उत्तर:- दिशाओं का कोई ओर-छोर नहीं होता हम यह नहीं कह सकते कि इस निश्चित स्थान पर कोई दिशा समाप्त हो गई है। यहाँ पर कवि ने दक्षिण दिशा को एक प्रतीक के रूप में शोषण ,भ्रष्टाचार,अनीति से जोड़ा है,हमारे चारों ओर का वातावरण इन्हीं से व्याप्त है इसलिए कवि ने ऐसा कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था।
उत्तर:- दिशाओं का कोई ओर-छोर नहीं होता हम यह नहीं कह सकते कि इस निश्चित स्थान पर कोई दिशा समाप्त हो गई है। यहाँ पर कवि ने दक्षिण दिशा को एक प्रतीक के रूप में शोषण ,भ्रष्टाचार,अनीति से जोड़ा है,हमारे चारों ओर का वातावरण इन्हीं से व्याप्त है इसलिए कवि ने ऐसा कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था।
3. कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर:- आज मनुष्य का जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है। चारों और असंतोष, हिंसा और विध्वंसक ताकतें फैली हुईं हैं। एक ओर जहाँ हम सभ्यता के विकास के लिए आधुनिक आविष्कार कर रहे हैं तो दूसरी ओर विध्वंसक हथियारों का निर्माण भी उसी रफ़्तार से हो रहा है। हिंसा और आंतक इतना फ़ैल चुका है कि अब मौत की कोई एक दिशा नहीं है बल्कि संसार के हर एक कोने में मौत अपना डेरा जमाए बैठी है। कवि के अनुसार सभ्यता के अंधाधुंध विकास का परिणाम है कि आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है।
उत्तर:- आज मनुष्य का जीवन कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है। चारों और असंतोष, हिंसा और विध्वंसक ताकतें फैली हुईं हैं। एक ओर जहाँ हम सभ्यता के विकास के लिए आधुनिक आविष्कार कर रहे हैं तो दूसरी ओर विध्वंसक हथियारों का निर्माण भी उसी रफ़्तार से हो रहा है। हिंसा और आंतक इतना फ़ैल चुका है कि अब मौत की कोई एक दिशा नहीं है बल्कि संसार के हर एक कोने में मौत अपना डेरा जमाए बैठी है। कवि के अनुसार सभ्यता के अंधाधुंध विकास का परिणाम है कि आज हर दिशा दक्षिण दिशा बन गई है।
4. भाव स्पष्ट कीजिए -
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
उत्तर:- भाव - प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि आज सामान्य जनमानस कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। चारों ओर शोषणकर्ताओं ने अपना जाल बिछा रखा है। वे नए नए सफेदपोश रूपों में हमारे सामने हमारा अंत करने के लिए तत्पर हैं। आज के इस समय में यमराज का चेहरा भी बदल गया है ,वे सभी जगह विराजमान भी है,और अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए नित्य नए हथकंडे अपनाते रहते है।
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
उत्तर:- भाव - प्रस्तुत पंक्तियों का भाव यह है कि आज सामान्य जनमानस कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। चारों ओर शोषणकर्ताओं ने अपना जाल बिछा रखा है। वे नए नए सफेदपोश रूपों में हमारे सामने हमारा अंत करने के लिए तत्पर हैं। आज के इस समय में यमराज का चेहरा भी बदल गया है ,वे सभी जगह विराजमान भी है,और अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए नित्य नए हथकंडे अपनाते रहते है।
• रचना और अभिव्यक्ति5. कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी - वह आपको क्या सीख देती हैं?
उत्तर:- माँ अपने अनुभवों द्वारा हमें कई सीख देती है। मेरी माँ भी समय - समय पर सीख देती रहती है जैसे - हर कार्य को नियत समय पर करना, छोटों-बड़ों को उचित सम्मान देना, जीवन मूल्यों को जीवन में उतारना आदि।
उत्तर:- माँ अपने अनुभवों द्वारा हमें कई सीख देती है। मेरी माँ भी समय - समय पर सीख देती रहती है जैसे - हर कार्य को नियत समय पर करना, छोटों-बड़ों को उचित सम्मान देना, जीवन मूल्यों को जीवन में उतारना आदि।
6. कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी - क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं ?
उत्तर:- मुझे तो माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि माँ ने अपने जीवन के अनुभवों द्वारा जो कुछ सीखा है उसी आधार पर वे हमें जीवन की सही राह पर चलना सिखाती हैं, वे चाहती हैं कि हम उनकी भूलों से सबक लेकर अपना जीवन सुधारें।
उत्तर:- मुझे तो माँ की हर सीख उचित जान पड़ती है क्योंकि माँ ने अपने जीवन के अनुभवों द्वारा जो कुछ सीखा है उसी आधार पर वे हमें जीवन की सही राह पर चलना सिखाती हैं, वे चाहती हैं कि हम उनकी भूलों से सबक लेकर अपना जीवन सुधारें।
7. कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तर:- कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है ताकि हमारी ईश्वर में आस्था बनी रहे, हम बुराइयों और अनैतिक कृत्यों से दूर रहे, मर्यादित जीवन जिए।
उत्तर:- कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है ताकि हमारी ईश्वर में आस्था बनी रहे, हम बुराइयों और अनैतिक कृत्यों से दूर रहे, मर्यादित जीवन जिए।