माटी वाली - प्रश्नोत्तर
CBSE class-09 Hindi-A
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
माटी वाली : विद्यासागर नौटियाल
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
माटी वाली : विद्यासागर नौटियाल
माटी वाली पाठ में विस्थापन की समस्या का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है। इस समस्या से मज़दूर तथा गरीब लोगों को सर्वाधिक दुख भोगना पड़ता है। आधुनिकता और विकास के नाम पर हम गरीब आदमी का शमशान भी उजाड़े दे रहे हैं। हमारा ध्यान सर्वहारा की ओर होना चाहिए।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को ही नहीं उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ में वे कौन से कारण रहे होंगे, जिनके रहते माटी वाली को सब पहचानते थे?
अथवा
टिहरी शहरवासियों के लिए माटी वाली का क्या महत्व है? वे माटी वाली को किस तरह पहचानते थे, संक्षेप में लिखें।
उत्तर-माटी वाली की लाल मिट्टी से सभी टिहरी वासियों का चूल्र्हा चौका पोता जाता था। पूरे शहर में वह अकेली महिला थी, जो हर घर मैं लाल मिट्टी पहुँचाती थी। उसके पास बिना ढ़क्कन का कनस्तर था। यही कारण था कि उस माटी वाली को सभी पहचानते थे।
उत्तर-माटी वाली की लाल मिट्टी से सभी टिहरी वासियों का चूल्र्हा चौका पोता जाता था। पूरे शहर में वह अकेली महिला थी, जो हर घर मैं लाल मिट्टी पहुँचाती थी। उसके पास बिना ढ़क्कन का कनस्तर था। यही कारण था कि उस माटी वाली को सभी पहचानते थे।
प्रश्न 2 माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर- माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय नहीं था। क्योंकि वह सुबह से शाम तक काम में भिड़ी रहती धी। काम नहीं होता तो पेट की चिन्ता और बढ़ जाती। वह अपने से ज़्यादा अपने बुड्ढ़े के बारे में सोचती थी।
उत्तर- माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय नहीं था। क्योंकि वह सुबह से शाम तक काम में भिड़ी रहती धी। काम नहीं होता तो पेट की चिन्ता और बढ़ जाती। वह अपने से ज़्यादा अपने बुड्ढ़े के बारे में सोचती थी।
प्रश्न 3. ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- भूखे व्यक्ति का ध्यान भोजन पर होता है न कि भोजन के स्वाद पर। इसका अर्थ यह है कि भूख के वक्त स्वादिस्ट भोजन नहीं देखा जाता, मात्र भूख मिटाने का उपाय सोचा जाता है। भूखे आदमी को रूखा सूख भोजन भी मीठा लगता है।
उत्तर- भूखे व्यक्ति का ध्यान भोजन पर होता है न कि भोजन के स्वाद पर। इसका अर्थ यह है कि भूख के वक्त स्वादिस्ट भोजन नहीं देखा जाता, मात्र भूख मिटाने का उपाय सोचा जाता है। भूखे आदमी को रूखा सूख भोजन भी मीठा लगता है।
प्रश्न 4. माटी लाने के आदेश के साथ माटी वाली को क्या मिला? उसे पाकर वह क्या सोचने लगी?
उत्तर- माटी वाली को माटी लाने के आदेश के साथ दो रोटियाँ मिलीं। उसने रोटियों को अपने बुड्ढ़े के लिए कपड़े में बाँध लिया। वह रास्ते भर सोचती जा रही थी कि रोटियाँ पाकर बुड्ढे का चेहरा खिल जाएगा।
उत्तर- माटी वाली को माटी लाने के आदेश के साथ दो रोटियाँ मिलीं। उसने रोटियों को अपने बुड्ढ़े के लिए कपड़े में बाँध लिया। वह रास्ते भर सोचती जा रही थी कि रोटियाँ पाकर बुड्ढे का चेहरा खिल जाएगा।
प्रश्न 5. टिहरी प्रोजेक्ट से ग्रामवासियों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में लिखिए?
उत्तर- टिहरी बाँध की दो सुरंगों को जैसे ही बन्द किया गया वैसे ही शहर में आपाथापी मच गई, क्योंकि शहर में तेजी से पानी भरने लगा था। लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर भाग रहे थे। पानी भरने के कारण श्मशान घाट भी डूब गया था। माटी वाली अपने झोपड़े के सामने बैठी थी। उसका बुड्ढ़ा परलोक सिधार गया था। वह हर आनेजाने वाले से यही कह रही थी कि- “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”
उत्तर- टिहरी बाँध की दो सुरंगों को जैसे ही बन्द किया गया वैसे ही शहर में आपाथापी मच गई, क्योंकि शहर में तेजी से पानी भरने लगा था। लोग अपने-अपने घरों को छोड़कर भाग रहे थे। पानी भरने के कारण श्मशान घाट भी डूब गया था। माटी वाली अपने झोपड़े के सामने बैठी थी। उसका बुड्ढ़ा परलोक सिधार गया था। वह हर आनेजाने वाले से यही कह रही थी कि- “गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर-
प्रश्न 1. माटी वाली पाठ में किस समस्या को प्रमुखता से उभरा गया है? पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए?
प्रश्न 1. माटी वाली पाठ में किस समस्या को प्रमुखता से उभरा गया है? पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए?
उत्तर- ‘माटी वाली’ में विस्थापितों की उस समस्या को रेखांकित किया गया है जो टिहरी बाँध बनने से उत्पन्न हुई थी। इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव गरीबों लाचार तथा असहाय लोगों पर पड़ा है। लोग विस्थापन की पीड़ा को समझें, उनके प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार करें। माटी वाली जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है, उसका अन्तिम सहारा श्मशान तक छिन चुका है।
माटी वाली सर्वहारा है। उसके पास न ज़मीन है न कागज़ात, विस्थापान के बाद वह कहाँ जाएगी, उसका क्या होगा? ऐसे ही प्रश्नों का जवाब खोजने की आवश्यकता है। प्रगति की कीमत इसी वर्ग को चुकानी पड़ती है। समाज एवं सरकार को इसी वर्ग के बारे में चिंतन करने की आवाश्यकता है।
माटी वाली सर्वहारा है। उसके पास न ज़मीन है न कागज़ात, विस्थापान के बाद वह कहाँ जाएगी, उसका क्या होगा? ऐसे ही प्रश्नों का जवाब खोजने की आवश्यकता है। प्रगति की कीमत इसी वर्ग को चुकानी पड़ती है। समाज एवं सरकार को इसी वर्ग के बारे में चिंतन करने की आवाश्यकता है।
प्रश्न 2. काँसे के बर्तनों के गायब होने के पीछे लेखक ने समाज की किस प्रवृति पर व्यंग्य किया है।
उत्तर- माटी वाली घरों में माटी देकर कुछ देर ठहरती थी। परस्पर दुख-सुख की बातें होती थीं। घर की मालकिने उसके दर्द को समझतीं, शाम की बची रोटियाँ उसे दे देतीं। कर्भी कभी रोटी के साथ चाय भी मिल जाती थी। एक घर में उसे पीतल के गिलास में चाय मिली तो उसने कहा कि- अब तो घरों में पीतल की गिलास नहीं मिलती। यह सुनकर घर की मालकिन ने कहां- “अब तो घरों से काँसे के बरतन भी गायब हो रहे हैं। लोग काँसे और पीतल की वस्तुओं को रद्दी के भाव बेचते हैं। जब की यह उनके पुरखों के गाढ़ी कमाई से तन-पेट काटकर बनाई हुई होतीं हैं। लोग इन विरासतों का मूल्य नहीं समझते हैं। वे आधुनिकता तथा फैशन के नाम पर नई वस्तुएँ अपनाते जा रहे हैं।” लेखक ने लोगों की इसी प्रवृति पर व्यंग्य किया है।
उत्तर- माटी वाली घरों में माटी देकर कुछ देर ठहरती थी। परस्पर दुख-सुख की बातें होती थीं। घर की मालकिने उसके दर्द को समझतीं, शाम की बची रोटियाँ उसे दे देतीं। कर्भी कभी रोटी के साथ चाय भी मिल जाती थी। एक घर में उसे पीतल के गिलास में चाय मिली तो उसने कहा कि- अब तो घरों में पीतल की गिलास नहीं मिलती। यह सुनकर घर की मालकिन ने कहां- “अब तो घरों से काँसे के बरतन भी गायब हो रहे हैं। लोग काँसे और पीतल की वस्तुओं को रद्दी के भाव बेचते हैं। जब की यह उनके पुरखों के गाढ़ी कमाई से तन-पेट काटकर बनाई हुई होतीं हैं। लोग इन विरासतों का मूल्य नहीं समझते हैं। वे आधुनिकता तथा फैशन के नाम पर नई वस्तुएँ अपनाते जा रहे हैं।” लेखक ने लोगों की इसी प्रवृति पर व्यंग्य किया है।