मेरे बचपन के दिन - प्रश्नोत्तर

CBSE class-09 Hindi-A
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 
मेरे बचपन के दिन

गद्यांश पर आधारित प्रश्न
1. बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है। कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा। परिस्थितियाँ बहुत बदल जाती हैं। अपने परिवार में मैं कई पीढि़यों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्रायः दो सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं। सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर मेरे बाबा ने बहुत दुर्गा-पूजा की। हमारी कुल-देवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था।
1. इस गद्यांश के लेखक/लेखिका का नाम है
क. सुभद्रा कुमारी चौहान ख. हजारीप्रसाद द्विवेदी ग. महादेवी वर्मा घ. माखनलाल चतुर्वेदी
उत्तर- ग. महादेवी वर्मा
2. बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है का आशय है?
  1. हम अपना बचपन कभी नही भूलते।
  2. हमें बचपन की बातें अकसर याद आती है।
  3. हमें अपना बचपन सबसे प्रिय है।
  4. उपरोक्त में से कोई नही।
उत्तर- ख. हमें बचपन की बातें अकसर याद आती है।
3. यह गद्यांश किस विधा से संबंधित है?
क. कहानी ख. निबंध ग. डायरी घ. संस्मरण
उत्तर- घ. संस्मरण
4. परमधाम भेजने का आशय है?
क. घर भेजना ख. तीर्थयात्रा में भेजना ग. मार डालना घ. पत्र भेजना
उत्तर- ग. मार डालना
5. लेखिका के घर में किस भाषा का प्रयोग नही होता था?
क. उर्दू ख. फारसी ग. अंग्रेजी घ. हिन्दी
उत्तर- घ. हिन्दी
2. उस समय यह देखा मैंने कि सांप्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं बुंदेलखंड की आती थीं, वे बुंदेली में बोलती थीं। कोई अंतर नहीं आता था और हम पढ़ते हिंदी थे। उर्दू भी हमको पढ़ाई जाती थी, परंतु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे कोई विवाद नहीं होता था।
1. तत्कालीन भारत में क्या नही था?
क. जातिवाद ख. साम्प्रदायिकता ग. भाषावाद घ. ख. व ग.
उत्तर- घ. ख. व ग.
2. छात्रावास की लड़कियाँ अपने प्रांतवासी लड़कियों से आपस में कौन सी भाषा बोलती थी?
क. अवधी ख. बुंदेली ग. प्रांतीय बोली घ. हिन्दी
उत्तर- ग. प्रांतीय बोली
3. लेखिका और उनकी सहपाठिनें किस भाषा में पढ़ती थी?
क. अवधी ख. उर्दू ग. हिन्दी घ. ख. व ग.
उत्तर- घ. ख. व ग.
4. इस अवतरण में क्या नही कहा गया है?
  1. लेखिका और उनकी सहपाठिनें एक मेस में खाते थे
  2. लेखिका और उनकी सहपाठिनें एक प्रार्थना में खड़े होते थे
  3. लेखिका और उनकी सहपाठिनें हिन्दी में बातें करती थी।
  4. लेखिका और उनकी सहपाठिनें में कोई विवाद नहीं होता था
उत्तर- ग. लेखिका और उनकी सहपाठिनें हिन्दी में बातें करती थी।
5. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
क. एक कुत्ता और एक मैना
ख. मेरे बचपन के दिन
ग. प्रेमचंद के फटे जूते
घ. ल्हासा की ओर
उत्तर- ख. मेरे बचपन के दिन
लघुत्तरीय प्रश्न
1. महादेवी वर्मा के जन्म के समय लड़कियों की दशा कैसी थी?

उत्तर-  तत्कालीन भारत में स्त्रियों की दशा अच्छी न थी। स्वयं लेखिका के परिवार में पिछली कई पीढ़ी से कन्या को जन्म लेते ही मार डाला जाता था। उन्हे लड़कों की तरह शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नही दिया जाता था। उन्हे परदे में रहना पड़ता था।
2. लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाई?
उत्तर- महादेवी वर्मा को बचपन में पढ़ाने के मौलवी रखा गया पर उनकी उसमें रूचि न थी। जब मौलवी साहब आए तो वह डरकर चारपाई के नीचे छिप गई।
3. लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर- लेखिका के घर में हिंदी का कोई वातावरण नहीं था। उनकी माता जबलपुर से आई तब वे अपने साथ हिंदी लाई। वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं। पहले-पहल उन्होंने लेखिका को ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। बचपन में माँ लिखती थीं, पद भी गाती थीं। मीरा के पद विशेष रूप से गाती थीं। सवेरे ‘जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले’ यही सुना जाता था। प्रभाती गाती थीं। शाम को मीरा का कोई पद गाती थीं। इसप्रकार वे धार्मिक मनोवृति की महिला थी।


4. जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर- लेखिका का परिवार जहाँ रहता था वहाँ जवारा के नवाब रहते थे। उनकी नवाबी छिन गई थी। वे एक बंगले में रहते थे। उसी कंपाउंड में लेखिका का परिवार रहता था। लेखिका को बेगम साहिबा कहती थीं-‘हमको ताई कहो!’ वे लोग उनको ‘ताई साहिबा’ कहते थे। उनके बच्चे महादेवी की माँ को चची जान कहते थे। लेखिका का जन्मदिन वहाँ मनाए जाते थे। उनके जन्मदिन लेखिका के यहाँ मनाए जाते थे। उनका एक लड़का था। वे उसे राखी बाँधने के लिए कहती थीं। मुहर्रम में हरे कपड़े उनके लिए भी बनते थे। लेखिका के छोटे भाई का मनमोहन नाम बेगम ने ही दिया था।
आज साम्प्रदायिकता के बढ़ने से हिन्दु मुस्लिम भाईचारे का यह उदाहरण दुर्लभ हो गया है। अब यह एक सपने जैसा लगता है।