ल्हासा की ओर - प्रश्न-उत्तर
CBSE Class 09 Hindi Course A
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क्षितिज पाठ-02 राहुल सांकृत्यायन
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क्षितिज पाठ-02 राहुल सांकृत्यायन
1. थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर:- इसका मुख्य कारण था - संबंधों का महत्व। तिब्बत के इस मार्ग पर यात्रियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं थीं इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ही ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ अच्छी जान-पहचान थी पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था किन्तु भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था इसबार उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़े में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति के कारण ही हुआ था क्योंकि लेखक वहाॅं शाम को पहुॅंचा था उस समय वहाँ के लोग छङ्ग पीकर होश खो देते थे जिससे उन्हें सही -गलत की पहचान नहीं हो पाती थी और सुमति भी उस समय उनके साथ नहीं थे।
उत्तर:- इसका मुख्य कारण था - संबंधों का महत्व। तिब्बत के इस मार्ग पर यात्रियों के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं थीं इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ही ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ अच्छी जान-पहचान थी पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था किन्तु भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था इसबार उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़े में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति के कारण ही हुआ था क्योंकि लेखक वहाॅं शाम को पहुॅंचा था उस समय वहाँ के लोग छङ्ग पीकर होश खो देते थे जिससे उन्हें सही -गलत की पहचान नहीं हो पाती थी और सुमति भी उस समय उनके साथ नहीं थे।
2. उस समय के तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ?
उत्तर:- उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते किि उनके पास पैसा है या नहीं तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई कानून नहीं था। इस कारण वे लोग खुले आम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे साथ ही, वहाँ निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था तथा कोई दुर्घटना हो जाने पर उसका गवाह भी नहीं मिलता था।
उत्तर:- उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते किि उनके पास पैसा है या नहीं तथा तिब्बत में हथियार रखने से सम्बंधित कोई कानून नहीं था। इस कारण वे लोग खुले आम पिस्तौल बन्दूक आदि रखते थे साथ ही, वहाँ निर्जन स्थान भी थे, जहाँ पुलिस का प्रबंध नहीं था तथा कोई दुर्घटना हो जाने पर उसका गवाह भी नहीं मिलता था।
3. लंकोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गए थे ?
उत्तर:- लेखक लंकोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गए थे -
१. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था, इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
२. वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा।
उत्तर:- लेखक लंकोर के मार्ग में अपने साथियों से दो कारणों से पिछड़ गए थे -
१. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था, इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
२. वे रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील ग़लत रास्ते पर चले गए थे। उन्हें वहाँ से वापस आना पड़ा।
4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ?
उत्तर:- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह वहाॅं जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित दो सौ पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
उत्तर:- लेखक ने शेकर विहार में सुमति को यजमानों के पास जाने से रोका था क्योंकि अगर वह वहाॅं जाता तो उसे बहुत वक्त लग जाता और इससे लेखक को एक सप्ताह तक उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ती परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित दो सौ पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:- लेखक को इस यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :-
१. जगह-जगह रास्ता कठिन था साथ ही परिवेश भी बिल्कुल नया था।
२. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
३. डाकू जैसे दिखने वाले लोगों से भीख माँगनी पड़ी।
४. भिखारी के वेश में यात्रा करनी पड़ी।
५. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।
६. तेज़ धूप में चलना पड़ा था,अपना सामान भी स्वयं ढोना पड़ा।
७. वापस आते समय लेखक को रूकने के लिए उचित स्थान भी मिला था।
उत्तर:- लेखक को इस यात्रा के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा :-
१. जगह-जगह रास्ता कठिन था साथ ही परिवेश भी बिल्कुल नया था।
२. उनका घोड़ा बहुत सुस्त था। इस वजह से लेखक अपने साथियों से बिछड़ गया और अकेले में रास्ता भूल गया।
३. डाकू जैसे दिखने वाले लोगों से भीख माँगनी पड़ी।
४. भिखारी के वेश में यात्रा करनी पड़ी।
५. समय से न पहुँच पाने पर सुमति के गुस्से के सामना करना पड़ा।
६. तेज़ धूप में चलना पड़ा था,अपना सामान भी स्वयं ढोना पड़ा।
७. वापस आते समय लेखक को रूकने के लिए उचित स्थान भी मिला था।
6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर:- प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर उस समय के तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि -
१. तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी।
२. सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था।
३. उस समय के तिब्बती समाज में औरतें परदा नहीं करती थीं।
४. उस समय तिब्बती जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।
उत्तर:- प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर उस समय के तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि -
१. तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी।
२. सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था।
३. उस समय के तिब्बती समाज में औरतें परदा नहीं करती थीं।
४. उस समय तिब्बती जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।
7. 'मैं अब पुस्तकों के भीतर था ।'नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन -सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है?
क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
ख. लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
ग. लेखक के चारों ओर पुस्तकें थीं।
घ. पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:- क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
ख. लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
ग. लेखक के चारों ओर पुस्तकें थीं।
घ. पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर:- क. लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
• रचना-अभिव्यक्ति8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:- सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं : जैसे -
१. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।
२. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।
३. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।
४. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है, लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं,वह लोगो की आस्था का फायदा उठाने में पीछे नहीं रहता था।
५. सुमति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।
६. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान भी रखते थे।
उत्तर:- सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग हर गाँव में लेखक को मिले। इससे सुमति के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताएँ प्रकट होती हैं : जैसे -
१. सुमति मिलनसार एवं हँसमुख व्यक्ति हैं।
२. सुमति के परिचय और सम्मान का दायरा बहुत बड़ा है।
३. सुमति उनके यहाँ धर्मगुरु के रूप में सम्मानित होता हैं।
४. सुमति सबको बोध गया का गंडा प्रदान करता है, लोग गंडे को पाकर धन्य अनुभव करते हैं,वह लोगो की आस्था का फायदा उठाने में पीछे नहीं रहता था।
५. सुमति स्वभाव से सरल, मिलनसार, स्नेही और मृदु रहा होगा। तभी लोग उसे उचित आदर देते होंगे।
६. सुमति बौद्ध धर्म में आस्था रखते थे तथा तिब्बत का अच्छा भौगोलिक ज्ञान भी रखते थे।
9. 'हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था'। - उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर:- सामान्यतया लोगों में एक धारणा बन गई है कि पहली बार मिलने वाले व्यक्ति का आकलन उसकी वेशभूषा देखकर किया जाता है। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।
मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के इनसान होते हैं, पूज्य होते हैं। हम पर पहला प्रभाव वेशभूषा के कारण ही पड़ता है। उसी के आधार पर हम भले-बुरे की पहचान करते हैं। परन्तु अच्छी वेशभूषा में कुत्सित विचारों वाले लोग भी हो सकते हैं। गरीब व्यक्ति भी चरित्र में श्रेष्ठ हो सकता है, वेशभूषा सब कुछ नहीं है। कीचड़ में खिलने पर भी कमल अपनी सुंदरता बनाए रखता है।
उत्तर:- सामान्यतया लोगों में एक धारणा बन गई है कि पहली बार मिलने वाले व्यक्ति का आकलन उसकी वेशभूषा देखकर किया जाता है। हम अच्छा पहनावा देखकर किसी को अपनाते हैं तो गंदे कपड़े देखकर उसे दुत्कारते हैं। लेखक भिखमंगों के वेश में यात्रा कर रहा था। इसलिए उसे यह अपेक्षा नहीं थी कि शेकर विहार का भिक्षु उसे सम्मानपूर्वक अपनाएगा।
मेरे विचार से वेशभूषा देखकर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के इनसान होते हैं, पूज्य होते हैं। हम पर पहला प्रभाव वेशभूषा के कारण ही पड़ता है। उसी के आधार पर हम भले-बुरे की पहचान करते हैं। परन्तु अच्छी वेशभूषा में कुत्सित विचारों वाले लोग भी हो सकते हैं। गरीब व्यक्ति भी चरित्र में श्रेष्ठ हो सकता है, वेशभूषा सब कुछ नहीं है। कीचड़ में खिलने पर भी कमल अपनी सुंदरता बनाए रखता है।
10. यात्रा वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द -चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:- तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ हैं। पहाड़ों के अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सुने प्रदेश बसे हुए हैं। यहाँ मीलों- मील तक कोई आबादी नहीं होती। एक ओर हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं। तिङ्री एक विशाल मैदानी भाग है, जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं। यहाँ बीच में एक पहाड़ी है, जिस पर देवालय स्थित है। देवालय को पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया है।
उत्तर:- तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है जो नेपाल का पड़ोसी देश है। इसकी सीमा भारत और चीन से लगती है। तिब्बत पहाड़ी प्रदेश है। यह समुद्र-तट से सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके रास्ते ऊँचे-नीचे और बीहड़ हैं। पहाड़ों के अंतिम सिरों और नदियों के मोड़ पर खतरनाक सुने प्रदेश बसे हुए हैं। यहाँ मीलों- मील तक कोई आबादी नहीं होती। एक ओर हिमालय की बर्फीली चोटियाँ दिखाई पड़ती हैं, दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे नंगे पहाड़ खड़े हैं। तिङ्री एक विशाल मैदानी भाग है, जिसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं। यहाँ बीच में एक पहाड़ी है, जिस पर देवालय स्थित है। देवालय को पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया है।
11. आपने किसी भी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी ? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर:- ग्रीष्मावकाश में इस बार मैंने अपने माता-पिता, बहन और दो मित्रों के साथ देहरादून घूमने जाने की योजना बनार्इ। सबको मेरा प्रस्ताव पसंद आया और हम सब 24 मर्इ को अपनी गाड़ी में बैठकर प्रात: 4 बजे देहरादून के लिए रवाना हुए। अभी गाड़ी 25-30 किमी 0 ही चली थी कि अचानक वह घरघराकर रूक गर्इ। गाड़ी खराब हो गर्इ थी। यहाँ आस-पास कोर्इ शहर या कस्बा नहीं था। सड़क के दोनों ओर खेत थे। रास्ता सुनसान था। हम सब परेशान हो गए। पिताजी ने उतरकर देखा, पर उन्हें भी समझ नहीं आया कि गाड़ी क्यों नहीं चल रही थी। हमें वहीं खड़े-खड़े तीन घंटे बीत गए। उस सड़क पर आने-जाने वाली गाडि़यों को हमने हाथ देकर रोकने की कोशिश की, जिससे कुछ सहायता प्राप्त की जा सके,परंतु सभी लोग जल्दी में थे और कोर्इ भी हमारी बात सुनने के लिए नहीं रूकना चाहता था।
शाम होने जा रही थी। हम लोगों का भूख और गर्मी के कारण बुरा हाल था। मेरी छोटी बहन तो परेशान होकर रोने लगी, मां ने मुश्किल से उसे चुप कराया। जब कोर्इ हल नहीं सूझा तो मेरे पिता जी ने चाचा जी को फ़ोन किया और वे अपने साथ मैकेनिक को लेकर आए, तब कहीं जाकर गाड़ी ठीक हो सकी।
इस बीच मेरठ से खाना खरीदा गया और हम लोग रात में 12.30 बजे देहरादून पहुँच पाए। हमारा पूरा दिन बर्बाद हो गया था। अब जब कभी हम लोग गाड़ी में बैठकर बाहर जाते हैं या कहीं घूमने की योजना बनाते हैं, वह समस्याओं से भरा दिन बरबस याद आ जाता है।
उत्तर:- ग्रीष्मावकाश में इस बार मैंने अपने माता-पिता, बहन और दो मित्रों के साथ देहरादून घूमने जाने की योजना बनार्इ। सबको मेरा प्रस्ताव पसंद आया और हम सब 24 मर्इ को अपनी गाड़ी में बैठकर प्रात: 4 बजे देहरादून के लिए रवाना हुए। अभी गाड़ी 25-30 किमी 0 ही चली थी कि अचानक वह घरघराकर रूक गर्इ। गाड़ी खराब हो गर्इ थी। यहाँ आस-पास कोर्इ शहर या कस्बा नहीं था। सड़क के दोनों ओर खेत थे। रास्ता सुनसान था। हम सब परेशान हो गए। पिताजी ने उतरकर देखा, पर उन्हें भी समझ नहीं आया कि गाड़ी क्यों नहीं चल रही थी। हमें वहीं खड़े-खड़े तीन घंटे बीत गए। उस सड़क पर आने-जाने वाली गाडि़यों को हमने हाथ देकर रोकने की कोशिश की, जिससे कुछ सहायता प्राप्त की जा सके,परंतु सभी लोग जल्दी में थे और कोर्इ भी हमारी बात सुनने के लिए नहीं रूकना चाहता था।
शाम होने जा रही थी। हम लोगों का भूख और गर्मी के कारण बुरा हाल था। मेरी छोटी बहन तो परेशान होकर रोने लगी, मां ने मुश्किल से उसे चुप कराया। जब कोर्इ हल नहीं सूझा तो मेरे पिता जी ने चाचा जी को फ़ोन किया और वे अपने साथ मैकेनिक को लेकर आए, तब कहीं जाकर गाड़ी ठीक हो सकी।
इस बीच मेरठ से खाना खरीदा गया और हम लोग रात में 12.30 बजे देहरादून पहुँच पाए। हमारा पूरा दिन बर्बाद हो गया था। अब जब कभी हम लोग गाड़ी में बैठकर बाहर जाते हैं या कहीं घूमने की योजना बनाते हैं, वह समस्याओं से भरा दिन बरबस याद आ जाता है।
12. यात्रा वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है । आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन -कौन सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर:- हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग -१ में निम्नलिखित पाठ और विधाएँ हैं -
उत्तर:- हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज भाग -१ में निम्नलिखित पाठ और विधाएँ हैं -
पाठ
|
विधा
|
दो बैलों की कथा
|
कहानी
|
ल्हासा की ओर
|
यात्रा-वृत्तांत
|
उपभोक्तावाद की संस्कृति
|
निबंध
|
साँवले सपनों की याद
|
रेखाचित्र
|
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया
|
रिपोर्ताज
|
प्रेमचंद के फटे जूते
|
व्यंग्य
|
मेरे बचपन के दिन
|
संस्मरण
|
एक कुत्ता और एक मैना
|
निबंध
|
प्रस्तुत विधा (यात्रा वृत्तांत) अन्य विधाओं से अलग है। इसका मुख्य विषय हैं - यात्रा का वर्णन। इसमें लेखक ने यात्रा की समस्त वस्तुओं, व्यक्तियों तथा घटनाओं का वर्णन किया है। इसमें मानव-चरित्र के अनुभव बहुत संक्षिप्त रूप में आए हैं जबकि कहानी, संस्मरण में मानव-वृत् का चित्रण हैं।
• भाषा-अध्ययन
13. किसी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है ;
जैसे -सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाला था कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते -रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीकों में लिखिए -
' जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे। '
उत्तर:- १. यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा चल भी रहा है या नहीं।
२. कभी लगता था घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।
जैसे -सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाला था कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते -रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीकों में लिखिए -
' जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे। '
उत्तर:- १. यह पता ही नहीं चल पा रहा था कि घोड़ा चल भी रहा है या नहीं।
२. कभी लगता था घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।
14. ऐसे शब्द जो किसी अंचल यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढकर लिखिए।
पाठ में आए हुए आंचलिक शब्द -
उत्तर:- खोटी, राहदारी, कुची-कुची, भीटा, थुक्पा, गाँव-गिराँव, भरिया, गंडा, कन्जुर, चोङी्।
पाठ में आए हुए आंचलिक शब्द -
उत्तर:- खोटी, राहदारी, कुची-कुची, भीटा, थुक्पा, गाँव-गिराँव, भरिया, गंडा, कन्जुर, चोङी्।
15. पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश : मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर:- मुख्य, व्यापारिक, बहुत, भद्र, चीनी, अच्छी, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, अगला, कम, रंग-बिरंगे, मुश्किल, लाल, ठंडा, गर्मागर्म, विशाल, छोटी-सी, पतली-पतली, तेज,कड़ी, छोटे-बड़े, मोटे।
उत्तर:- मुख्य, व्यापारिक, बहुत, भद्र, चीनी, अच्छी, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, अगला, कम, रंग-बिरंगे, मुश्किल, लाल, ठंडा, गर्मागर्म, विशाल, छोटी-सी, पतली-पतली, तेज,कड़ी, छोटे-बड़े, मोटे।