तताँरा-वामीरो कथा - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 2

CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (गद्य खंड)
पाठ- 7 तताँँरा-वामिरो कथा
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गद्य-पाठों के विषय-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
  1. तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या थी?
    उत्तर-
     तताँरा और वामीरो के गाँव की यह रीति थी कि विवाह के लिए लड़के-लड़की का एक ही गाँव का होना जरूरी था। दूसरे गाँव के युवक के साथ संबंध असंभव था।
  2. तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
    उत्तर- तताँरा की तलवार यद्यपि लकड़ी की थी, पर इसके बावजूद लोगों का मानना था कि उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। तताँरा तलवार को कभी अपने से अलग होने नहीं देता था। लोग यह मानते थे कि तताँरा अपने साहसिक कारनामे इसी तलवार के कारण ही कर पाता है। उसमें बड़ी शक्ति थी।
  3. निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
    उत्तर- निकोबार के लोग तताँरा को उसके साहसी और परोपकारी स्वभाव के कारण पसंद करते थे वह एक सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह सदा लोगों की सहायता करता रहता था। तताँरा एक नेक और मददगार व्यक्ति था। वह अपने गाँव वालों की ही नहीं, समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना धर्म समझता था। सभी उसका आदर करते थे। मुसीबत की घड़ी में वह लोगों के पास तुरंत पहुँच जाता था।
  4. प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
    उत्तर-
     प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने संबंधी आयोजन तथा पशु पर्व किए जाते थे।
  5. ‘तताँरा-वामीरो कथा’ का संदेश स्पष्ट कीजिए।
    उत्तर-
     ‘तताँरा-वामीरो कथा’ एक लोकगाथा है। इसमें यह संदेश दिया गया है कि प्रेम को किसी बंधन, जड़ता तथा सीमाओं में बाँधना उचित नहीं है। यदि कोई गाँव, प्रदेश या क्षेत्र प्रेम को पनपने के लिए खुला अवसर नहीं देता तो इससे सर्वनाश होता है। धरती में भेदभाव बढ़ते हैं। पहले से बँटी हुई धरती और अवसर नहीं देता तो इससे मानवता का क्षय होता है। भावनाएँ एक होने की बजाय खंडित होती हैं। अतः गाँव, प्रदेश या अन्य संकीर्ण नियमो को तोड़कर हमें उदारता के साथ सबको अपनाना चाहिए।
  6. तताँँरा और वामीरो की मृत्यु कैसे हुई? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।
    उत्तर-
     पशु-पर्व के मौके पर तताँरा और वामीरो को इक्कठा देखकर वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाजें उठाने लगे। यह तताँरा के लिए अहसनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं अपनी असहायता पर खीझ वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम नहीं था कि क्या कदम उठाना चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूढ़ पर जा टिका क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था। लोग सहम उठे। एक सन्नाटा-सा खिंच गया। जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। वह पसीने से नहा उठा। सब घबराए हुए थे। वह तलवार को अपनी तरफ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। वह हाँफ रहा था। अचानक जहाँ एक लकीर खिंच गई थी, वहाँ एक दरार होने लगी। मानो धरती दो टुकड़ो में बँटने लगी हो। एक गड़गड़ाहट-सी गूँजने लगी और लकीर की सीध में धरती फटती ही जा रही थी। द्वीप के अंतिम सिरे तक तताँरा धरती को मानो क्रोध में काटता जा रहा था। सभी व्याकुल हो उठे। लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्पना न की थी, वे सिहर उठे। उधर वामीरो फटती हुई धरती के कनारे तताँरा का नाम पुकारते हुए दौड़ रही थी। द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो चुका था। तताँरा और वामीरो द्वीप के साथ समुन्द्र में धँस गए, और उनकी मृत्यु हो गई।
  7. शाम के समय, समुद्र किनारे तताँरा की प्राकृतिक अनुभूति का वर्णन कीजिए।
    उत्तर-
     एक शाम तताँरा दिन-भर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र किनारे टहलने निकल पड़ा। सूरज समुद्र से लगे क्षितिज तले डूबने को था। समुद्र से ठंडी बयारें आ रही थीं। पक्षियों की सायंकालीन चाहचाहाहटें शनैः शनैः क्षीण हों को थीं। उसका मन शांत था। विचारमग्न तताँरा समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणों को समुद्र पर निहारने लगा। तभी कहीं पास में उसे मधुर गीत गूँजता सुनाई दिया। गीत मानों बहता हुआ उसकी तरफ आ रहा हो। बीच-बीच में लहरों का संगीत सुनाई देता। गायन प्रभावी था कि वह अपनी सुध-बुध खोने लगा। लहरों के एक प्रबल वेग ने उसकी तंद्रा भंग की। चैतन्य होते ही वह उधर बढ़ने को विवश हो उठा जिधर से अब भी गीत के स्वर बह रहे थे। वह विकल-सा उस तरफ़ बढ़ता गया। अंततः उसकी नजर एक युवती पर पड़ी जो ढलती हुई शाम के सौंदर्य में बेसुध, एकटक समुद्र की देह पर डूबते आकर्षक रंगो को निहारते हुए गा रही थी। यह एक शृंगार गीत था।