डी.सी. व ए.सी. मशीन आर्मेचर वाइन्डिंग -2

डी.सी. व ए.सी. मशीन आर्मेचर वाइन्डिंग

डी.सी. आर्मेचर पर वाइन्डिंग करने के लिए निम्न दो पद्धतियों का उपयोग किया जाता है -
(1) रिंग आर्मेचर पद्धति                 (2) ड्रम आर्मेचर पद्धति
डी.सी. आर्मेचर वाइन्डिंग से सम्बन्धित परिभाषाएं निम्न है -
(1) पोल पिच - इसे आर्मेचर चालकों की संख्या प्रति पोल या आर्मेचर  स्लॉटोकी संख्या प्रति पोल से परिभाषित किया जाता है।
(2) क्वॉइल पिच या क्वॉइल स्थान - एक क्वॉइल की दो सक्रिय साइड जो असमान ध्रुवो  के अन्तर्गत हो, के बीच की दूरी क्वॉइल पिच या वाइन्डिंग पिच या क्वॉइल स्पान कहलाती है।
(3) कम्यूटेटर पिच - यह कम्यूटेटर सेग्मेंट पर एक क्वॉइल के दो सिरों को जोड़ने के बीच की दूरी है।
(4) बैक पिच - यह एक दूरी हे, जिसे आर्मेचर चालकों की terms में ज्ञात किया जाता है। कम्यूटेटर के विपरीत दिशा में किसी क्वॉइल की दोनों साइडो के बीच की दूरी को बैक पिच कहते हैं।
(5) फ्रन्ट पिच - आर्मेचर से कम्यूटेटर के ओर की एक क्वॉइल की अन्तिम भुजा तथा उससे अगली क्वॉइल की पहली भुजा के बीच की दूरी को फ्रन्ट पिच कहते हैं।
(6) वाइन्डिंग पिच - दो संलग्न क्वॉइलों की प्रथम एक्टिव साइडों के बीच की दूरी, वाइन्डिंग पिच कहलाती है। इसे Y द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। यह दूरी भी स्लॉटो अथवा चालकों की संख्या के रूप में व्यक्त की जाती है।
  • लैप वाइन्डिंग के लिए, Y = Yp –Y f
  • वेव वाइन्डिंग के लिए, Y = Yp +Y f