तताँरा-वामीरो कथा - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (गद्य खंड)
पाठ - 7 तताँँरा-वामिरो कथा
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु का बोध, भाषिक बिंदु/संरचना आदि पर प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित गद्यांशो को पढ़े एवं उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  1. "ढीठता की हद है। मैं जब से परिचय पूछ रही हूँ और तुम बस एक ही राग अलाप रहे हो। गीत गाओ-गीत गाओ, आखिर क्यों? क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालुम?" इतना बोलकर वह जाने के लिए तेज़ी से मुड़ी। तताँरा को मानो कुछ होश आया। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। वह उसके सामने रास्ता रोककर, मानों गिड़गिड़ाने लगा।
    "मुझे माफ़ कर दो। जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। तुम्हें देखकर मेरी चेतना लुप्त हो गई थी। मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूँगा। बस अपना नाम बता दो।" तताँरा ने विवशता में आग्रह किया। उसकी आँखें युवती के चेहरे पर केंद्रित थीं। उसके चेहरे पर सच्ची विनय थी।
    "वा . . . मी . . . रो . . ."एक रस घोलती आवाज़ उसके कानों में पहुँची।
    "वामीरो . . . वा . . . मी . . . रो . . . वाह कितना सुंदर नाम है। काल भी आओगी न यहाँ?" तताँरा न याचना भरे स्वर में कहा।
    1. तताँरा को अपनी कौन-सी गलती का अहसास हुआ?
      उत्तर-
       तताँरा को अपनी गलती का अहसास हुआ कि वामीरों उसका परिचय पूछ रही है और वह अपना परिचय नहीं देकर वामीरों को गीत गाने को कह रहा है। यह स्थिति प्रथम भेंट के आकर्षण को स्पष्ट करती है।
    2. तताँरा ने विवशतापूर्वक युवती से क्या आग्रह किया?
      उत्तर-
       तताँरा ने विवशतापूर्वक युवती से आग्रह किया कि, "मुझे माफ़ कर दो। जीवन में पहली बार मैं विचलित हुआ हूँ। तुम्हें देखकर मेरी चेतना लुप्त हो गई थी। मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूँगा। बस अपना नाम बता दो।"
    3. तताँरा ने नाम जानकर वामीरो से क्या कहा?
      उत्तर-
       तताँरा ने नाम जानकर वामीरों से कहा, कि वाह कितना सुंदर नाम है। कल भी आओगी न यहाँ।

  2. तताँरा का मन इन कार्यक्रमों में तनिक न था। उसकी व्याकुल आँखे वामीरो को ढूँढने में व्यस्त थीं। नारियल के झुंड के एक पेड़ के पीछे से उसे जैसे कोई झाँकता दिखा। उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। वह वामीरो थी जो भयवश सामने आने में झिझक रही थी। उसकी आँखे तरल थीं। होंठ काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वह फूटकर रोने लगी। तताँरा विह्वल हुआ। उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था। रोने कि आवाज़ लगातार ऊँची होती जा रही थी। तताँरा किंकर्त्तव्यविमूढ़ था। वामीरो के रुदन स्वरों को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी। सारे गाँववालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमानजनक लगा। इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए। वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाज़े उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय है। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं उसकी असहायता पर खीझ। वामीरों का दुख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाना चाहिए।
    1. पाठ और लेखक का नाम बताइए।
      उत्तर-
       पाठ – तताँरा-वामीरो कथा
      लेखक – लीलाधर मंडलोई।
    2. तताँरा ने स्वयं को अपमानित महसूस क्यों किया?
      उत्तर-
       तताँरा समझता था कि उसने वामीरो से प्रेम करके कुछ बुरा नहीं किया है - फिर भी वामीरो की माँ और गाँव वाले उसे अपमानित कर रहे हैं, परंतु तताँरा स्वयं को बेकसूर मानता था। इसलिए अपने को अपमानित महसूस कर रहा था
    3. वामीरो की माँ और गाँव वालों ने तताँरा के साथ कैसा व्यवहार किया?
      उत्तर-
       वामीरो की माँ और गाँव वालों ने तताँरा के साथ अपमानजनक व्यवहार किया। वामीरो कि माँ ने उसे बुरा-भला कहा। गाँव वालों ने उसके प्रेम का विरोध किया क्योंकि वे इस प्रेम-विवाह को नियमों के विरुद्ध मानते थे।