मीरा-पद - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1
CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (काव्य खंड)
पाठ - 2 मीरा के पद
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पाठ - 2 मीरा के पद
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
काव्यांश के विषय-बोध और सराहना पर आधारित प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग़ लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुंज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।- मीरा किसकी चाकर बनना चाहती हैं ?
उत्तर- कवियत्री मीरा भगवान श्रीकृष्ण की दासी अर्थात् चाकर बनना चाहती है। - ‘सुमरण पास्यूँ खरची’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति का अर्थ यह है कि सुमिरण अर्थात् जाप करने वाले को ईश्वर नाम के खर्च होने की चिंता नहीं होती। वे प्रभु के दर्शन हो जाने तक जाप, सुमिरण करते रहते हैं। - ‘तीनूं बाता सरसी’ का क्या आशय है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति का आशय यह है कि भक्ति के तीन रूप हैं – नाम स्मरण, भक्ति-भाव तथा प्रभु दर्शन जिन्हें मीरा श्रीकृष्ण की सेविका बनकर पाना चाहती है। - मीरा क्यों चाकर बनना चाहती हैं ?
उत्तर- समर्पित भाव से सेवा करने के लिए। - ‘भाव भगती जागीरी पास्यूँ’ का क्या आशय है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्तियों का आशय यह है कि कवियत्री श्रीकृष्ण की सेविका बनकर उनके दर्शन, स्मरण तथा भक्ति रूपी साम्राज्य को सहज ही प्राप्त कर लेगी।
- मीरा किसकी चाकर बनना चाहती हैं ?