बड़े भाई साहब - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (गद्य खंड)
पाठ- 5 बड़े भाई साहब
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु का बोध, भाषिक बिंदु/संरचना आदि पर प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित गद्यांशो को पढ़े एवं उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  1. मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया, लेकिन तालीम जैसे महत्त्व के मामले में वह जल्दबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे, जिस पर आलिशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने।
    1. पाठ और लेखक का नाम बताइए।
      उत्तर-
       पाठ – बड़े भाई साहब, लेखक – प्रेमचंद
    2. लेखक और उसके भाई की आयु में अंतर बताइए।
      उत्तर-
       लेखक और बड़े भाई साहब की आयु में पाँच वर्ष का अंतर है।
    3. बड़े भाई साहब कि विशेषता स्पष्ट करें।
      उत्तर-
       बड़े भाई साहब शिक्षा ग्रहण करने में जल्दबाज़ी नहीं करते थे। वे शिक्षा को महत्वपूर्ण मानते थे। अतः शिक्षा का गहन अध्ययन करते हुए उन्हें एक ही कक्षा पास करने में तीन-तीन वर्ष लग जाया करते थे। यहाँ व्यंग्य किया गया है।
    4. बुनियाद के पुख्ता होने से क्या आशय है ?
      उत्तर-
       बुनियाद पुख्ता होना अर्थात् नींव का मजबूत होना। किसी भी भवन की मजबूती उसके आधार अथवा नींव पर निर्भर करती है। यहाँ बुनियाद पुख्ता होने से आशय है जल्दबाज़ी न करके गहन अध्ययन करना।

  2. मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ जैसा लगता था। मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और कभी कंकरियाँ उछालता, कभी कागज़ कि तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया, तो पूछना ही क्या। कभी चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूद रहे हैं। कभी फाटक पर सवार, उसे आगे पीछे-पीछे चलाते हुए मोटरकार का आनंद उठा रहे हैं, लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रूद्र-रूप देखकर प्राण सुख जाते। उनका पहला सवाल यह होता - ‘कहाँ थे’? हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात क्यों न निकलती कि ज़रा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोष से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें।
    1. लेखक का मन पढ़ाई में क्यों नहीं लगता था?
      उत्तर-
       लेखक का मन पढ़ाई में नहीं लगता था क्योंकि उसकी रूचि खेलने तथा मौज-मस्ती करने में रहती थी।
    2. लेखक को क्या करने में आनंद आता था ?
      उत्तर-
       लेखक को खेलने-कूदने तथा मौज-मस्ती करने में आनंद आता था। वह प्रायः अवसर पाते ही हॉस्टल से बाहर आकर कंकरियाँ उछालता, कागज़ कि तितलियाँ उड़ाने लगता था। कभी-कभी लेखक अपने मित्रों के साथ गप्पे भी हाँकता था।
    3. लेखक अपने बड़े भाई साहब से डरता था। क्यों?
      उत्तर-
       लेखक अपने बड़े भाई से डरता था क्योंकि उसे लगता था कि बड़े भाई साहब उससे सवाल-जवाब पूछेंगे और उससे एक-एक मिनट का हिसाब लेकर आवारागर्दी के लिए डाँटेंगे।
    4. लेखक बड़े भाई के सामने मौन रह जाता था। क्यों?
      उत्तर-
       बड़े भाई साहब क्रोधी थे। अतः लेखक चाहकर भी अपनी सफाई में कुछ नहीं कहकर भयवश मौन रहता था।