डायरी का एक पन्ना - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1

CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (गद्य खंड)
पाठ - 6 डायरी का एक पन्ना
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु का बोध, भाषिक बिंदु/संरचना आदि पर प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित गद्यांशो को पढ़े एवं उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  1. जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना नहीं चाहिए यह ओपन लड़ाई थी। पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। जो लोग काम करने वाले थे उन सबको इन्स्पेक्टेरों के द्वारा नोटिस और सूचना दे दी गई थी कि आप यदि सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। इस कौंसिल कि तरफ़ से नोटिस निकल गया था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्वधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले नहीं कि गई थी।
    1. ‘ओपन लड़ाई’ से आपका क्या आशय है?
      उत्तर-
       स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए सरकारी कानून की अवज्ञा करने को ‘ओपन लड़ाई’ कहा गया था।
    2. पुलिस ने क्या नोटिस निकाला था?
      उत्तर-
       पुलिस कमिश्नर ने कानून की कुछ धाराओं का हवाला देते हुए नोटिस निकाला था कि मोनुमेंट के नीचे होने वाली सभा गैर-कानूनी है। इसमें भाग लेने वाले को दोषी समझा जाएगा तथा उसके खिलाफ सरकारी कार्यवाही की जाएगी।
    3. इस सभा की क्या विशेषताएँ थीं?
      उत्तर-
       सरकार के कानून को खुली-चुनौती देना तथा इस मैदान में इससे बड़ी सभा का पहले कभी न होना इस सभा की प्रमुख विशेषताएँ थीं।

  2. करीब आठ बजे खादी भंडार आए तो कांग्रेस ऑफ़िस से फ़ोन आया कि यहाँ बहुत आदमी चोट खाकर आए हैं और कई हालात संगीन है उनके लिए गाड़ी चाहिए। जानकी देवी के साथ वहाँ गए, बहुत लोगों को चोट लगी हुई थी। डॉक्टर दासगुप्ता उनकी देख-रेख तथा फ़ोटों उतरवा रहे थे। उस समय तक 67 आदमी वहाँ आ चुके थे। बाद में तो 103 तक आ पहुँचे।
    अस्पताल गए, लोगों को देखने से मालुम हुआ कि 160 आदमी तो अस्पतालों में पहुँचे और जो लोग घरों में चले गए, वे अलग हैं। इस प्रकार दो सौ घायल जरुर हुए है। पकड़े गए आदमियों की संख्या का पता नहीं चला, पर लालबाज़ार के लॉकअप में स्त्रियों की संख्या 105 थी। आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया सोचने लगा गए कि यहाँ भी बहुत सा काम हो सकता है।
    1. घायलों की देख-रेख तथा फ़ोटो उतरवाने का कार्य कौन कर रहा था?
      उत्तर-
       डॉक्टर दासगुप्ता घायलों की देख-रेख तथा फ़ोटों उतरवा रहे थे।
    2. कलकत्ता के नाम पर लगा कौन-सा कलंक धुल गया था ?
      उत्तर-
       कलकत्ता के नाम परत लगा यह कलंक धुल गया था कि यहाँ स्वतंत्रता का संघर्ष उतने जोश और बलिदान के साथ नहीं लड़ा गया, जितना कि देश के अन्य भागों में।
    3. कलकत्ता में हुए संघर्ष की बात सुनकर लोग क्या सोचने लगे?
      उत्तर-
       कलकत्ता में हुए संघर्ष की बात सुनकर लोग सोचने लगे कि कलकता स्वतंत्रता संघर्ष से दूर नहीं है। यहाँ भी आज़ादी की लड़ाई हेतु बहुत सा काम हो सकता है।