कबीर-साखी - महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
CBSE कक्षा 10 हिंदी 'ब' स्पर्श (काव्य खंड)
पाठ - 1 साखी
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
पाठ - 1 साखी
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
काव्यांश के विषय-बोध और सराहना पर आधारित प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
निम्नलिखित पंक्तियों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आप खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ।।- साखी में कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर- प्रश्नोक्त साखी में दोहा छंद प्रयुक्त हुआ है। - तन सीतल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- तन सीतल का अभिप्राय अलौकिक आनंद का अनुभव करने से है। - मधुरवाणी बोलने का क्या लाभ है ?
उत्तर- मधुरवाणी बोलने से अहंकार मिटता है तथा अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है। - ‘मन का आपा खोना’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- मन का आपा खोने का तात्पर्य है अपने मन से अहंकार को त्याग देना। - ‘आपा’ का शाब्दिक अर्थ क्या होगा?
उत्तर- ‘आपा’ का शाब्दिक अर्थ अहंकार/गर्व होता है।
- साखी में कौन-सा छंद प्रयुक्त हुआ है?
कस्तुरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढ़ै बन माँहि।
ऐसैं घटि घटि राँम है, दुनिया देखै नाँहि।।- कस्तुरी कहाँ बस्ती है ?
उत्तर- कस्तुरी का निवास स्थान हिरण की नाभि है। - हिरण कस्तुरी को कहाँ ढूँढ़ता फिरता है।
उत्तर- हिरण कस्तुरी को जंगलों में ढूँढ़ता फिरता है। - संसार किस तथ्य से अनजान है ?
उत्तर- संसार ईश्वर की स्वयं में उपस्थिति से अनभिज्ञ है वो उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में ढूँढ़ता रहता है। - ‘कुंडली’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- कुंडली का शाब्दिक अर्थ नाभि होता है। - ‘ऐसैं घटि-घटि राँम है’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति का अर्थ है कि कण-कण में राम अर्थात् ईश्वर विराजमान हैं।
- कस्तुरी कहाँ बस्ती है ?
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि।।- उपर्यक्त साखी से क्या संदेश मिलता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- उपर्युक्त साखी से हमें अपने मन से अहंकार दूर करने का संदेश मिलता है। साखी में कहा गया है कि जब तक साधक के मन में अहंकार था तब तक उसके मन में ईश्वर नहीं था और जब साधक ने अपने मन से अहंकार भाव को निकाल फेंका तब ईश्वर कि सहज ही प्राप्ति हो गई। कवि का कहना है कि ईश्वर और अहं साथ-साथ नहीं रह सकते। - ईश्वर प्राप्ति के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर- ईश्वर प्राप्ति के लिए अहं भाव का त्याग अति आवश्यक है। - दीपक किसका प्रतीक है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति में दीपक ज्ञान का प्रतीक है। - ‘दीपक देख्या माँहि’ का क्या आशय है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति का आशय यह है कि ज्ञान रूपी दीपक जलते ही मनुष्य का अंधकार रूपी अज्ञान नष्ट हो जाता है। - ‘माँहि’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर- ‘माँहि’ का शाब्दिक अर्थ अंतर्मन है।
- उपर्यक्त साखी से क्या संदेश मिलता है ? स्पष्ट कीजिए।
सुखिया सब संसार है, खायै अरू सोवै।
दुखिया दस कबीर है, जागै अरू रोवै।।- ‘सुखिया सब संसार है’ में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर- प्रश्नोक्त पंक्ति में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है। - कबीर के दुःख का कारण क्या है ?
उत्तर- कबीर के दुःख का कारण प्रभु को नहीं प्राप्त करना है। वे कहते हैं कि सुखी व्यक्ति वह है जो सिर्फ़ सांसारिक सुखों में डूबा रहता है तथा दुखी वह है तो संसार कि नश्वरता को को देखकर रोता रहता है। कबीर इसी नश्वरता को देखकर दुखी है। - संसार खाने और सोने में मस्त क्यों है ?
उत्तर- संसार के लगभग सभी लोग सांसारिक सुखों को ही सुख मानते हैं, - उपर्युक साखी का प्रतिपाद्य क्या है ?
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियों का प्रतिपाद्य यह है कि प्रभु के प्रति जाग्रत मनुष्य उनके वियोग में तड़पता है जबकि सांसारिक लोग मौज करते हैं।
- ‘सुखिया सब संसार है’ में कौन-सा अलंकार है ?